2020 में महागठबंधन ने जीती थी पहली बाजी, अब बदले समीकरण, चलनी होगी नई 'चाल'

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि 2020 में अगर एलजेपी और आरएलएसपी एनडीए के साथ होते तो नतीजा कुछ और हो सकता था, क्योंकि एलजेपी ने केवल उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ा जो जेडीयू के खाते में थीं.

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  • 2020 के चुनाव के पहले चरण में इंडिया गठबंधन ने 71 में से 48 सीटें जीतकर 70 प्रतिशत से अधिक सीटें हासिल की थीं
  • पहले चरण के चुनाव में महागठबंधन में आरजेडी ने 33, कांग्रेस ने 8 और सीपीआईएमएल ने 7 सीटें जीती थी.
  • चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा के एनडीए में वापस आने से दक्षिण बिहार में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.
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पटना:

2020 में बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में संपन्न हुए थे. पहले चरण में दक्षिण और दक्षिण पूर्व बिहार के इलाकों में चुनाव हुआ था. इस चरण में महागठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था और 71 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की थी. तब आरजेडी और कांग्रेस समेत कुछ अन्य दलों के गठबंधन को महागठबंधन कहा जाता था, जो अब इंडिया गठबंधन कहलाता है.

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई हुई और महज कुछ सीटों की बढ़त से एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाने में सफ़ल रही. इंडिया गठबंधन ने सबसे शानदार प्रदर्शन पहले चरण के चुनाव में किया. ये सभी ज़िले बिहार के दक्षिणी और दक्षिण पूर्व इलाके के हैं.

पहले चरण की 70 फीसदी सीटें इंडिया गठबंधन को मिलीं

पहले चरण में 14 ज़िलों की 71 सीटों पर चुनाव हुआ था, जिनमें 48 सीटें इंडिया गठबंधन ने जीती, जबकि एनडीए को केवल 21 सीटों से संतोष करना पड़ा. यानि इस इलाके में 70 फ़ीसदी सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत हुई. 48 में से 33 सीटें आरजेडी ने, 8 सीटें कांग्रेस ने जबकि बाक़ी 7 सीटें सीपीआईएमएल ने जीती. 14 में से 6 ज़िले ऐसे थे जिनमें एनडीए का सूपड़ा साफ़ हो गया था. इनमें रोहतास, बक्सर, कैमूर, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल ज़िले शामिल हैं. शाहाबाद क्षेत्र के चार ज़िलों - रोहतास, बक्सर, कैमूर और भोजपुर की 22 सीटों में से 20 महागठबंधन ने जीत ली.

चिराग और कुशवाहा से हुआ नुकसान

हालांकि पहले चरण में इंडिया गठबंधन को मिली बंपर जीत के पीछे चिराग पासवान की एलजेपी और उपेन्द्र कुशवाहा की आरएलएसपी का भी योगदान था. आज दोनों पार्टियां एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन पिछली बार दोनों ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था. जिन 48 सीटों पर इंडिया गठबंधन जीती, उनमें 20 सीटें ऐसी थीं जिन पर जीत का अंतर एलजेपी को मिले वोटों से कम था, जबकि 3 सीटों पर तो एलजेपी दूसरे नंबर पर रही. वहीं 3 सीटें ऐसी रहीं जिस पर उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को मिले वोट इंडिया गठबंधन की जीत के अंतर से ज़्यादा रहे. इनमें रोहतास ज़िले की करगहर और दिनारा, भोजपुर ज़िले की जगदीशपुर और बक्सर ज़िले की बक्सर विधानसभा सीट कुछ ऐसी ही सीटें थीं. ऐसे में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अगर एलजेपी और आरएलएसपी एनडीए के साथ होते तो नतीजा कुछ और हो सकता था, क्योंकि एलजेपी ने केवल उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ा जो जेडीयू के खाते में थीं.

लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन

वैसे इस इलाके में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था. इंडिया गठबंधन ने बिहार में 9 सीटों पर जीत हासिल की, जिनमें से 6 जीत इसी इलाके में दर्ज़ की गई.

इस इलाके में सीपीआईएमएल का मजबूत आधार

ऐसे में इंडिया गठबंधन को जहां अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है. वहीं एनडीए के सामने इसे ध्वस्त करने की भी चुनौती है. इस इलाके में इंडिया गठबंधन की जीत का एक प्रमुख कारण सीपीआईएमएल का मजबूत आधार भी माना जाता है. 2020 में जहां सीपीआईएमएल ने अपनी 12 सीटों में से 7 सीटें इसी इलाके में जीती. वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी दोनों सीटें भू इसी इलाके से जीती.

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चिराग के साथ होने से जेडीयू को राहत

एनडीए और ख़ासकर जेडीयू को उम्मीद होगी कि चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा के वापस एनडीए खेमे में आने के बाद इस इलाके में उसके प्रदर्शन में सुधार होगा. क्योंकि दोनों पार्टियों के अलग चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा नुकसान जेडीयू को ही हुआ था और पार्टी के 43 सीटों पर सिमटने का सबसे बड़ा कारण बना था.

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