बिहार के कृषि मंत्री का इस्तीफा, तेजस्वी यादव का 'कोई बकवास बर्दाश्त नहीं' का स्पष्ट संदेश

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पिछले चार दिनों में हुई ये दो घटनाएं तेजस्वी यादव के 'नो- नॉनसेंस' मूड को साफ तौर पर दर्शाती हैं.

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भविष्य में इस तरह के किसी भी बयान को प्रतिबंधित किया गया है.
पटना:

क्या बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अब पार्टी के नए टॉप बॉस हैं? उनकी पार्टी के विधायक और राज्य मंत्री सुधाकर सिंह का हालिया कृषि मंत्री के तौर पर इस्तीफा यादव की उन लोगों के प्रति सख्ती को दर्शाता है जो उनके और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नो-टॉलरेंस के स्टैंड को धुमिल करते हैं. बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह, जिन्होंने अक्सर अपने विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर राज्य सरकार को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया है, ने कल बिना किसी औपचारिक घोषणा के अपने कैबिनेट पद से इस्तीफा दे दिया.

दरअसल, तेजस्वी यादव, जो उन्हें अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं करने की सलाह देते थे, ने आखिरकार अपना धैर्य खो दिया और उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का मन बना लिया. उन्होंने अपने पिता, आरजेडी के संरक्षक लालू प्रसाद यादव को अपने फैसले से अवगत कराया, उन्होंने अपनी सहमति दी और सुधाकर सिंह के पिता और राज्य पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अपने बेटे से इस संबंध में बात करने को कहा.

सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद कृषि मंत्रालय अब पर्यटन मंत्री कुमार सर्वजीत को दिया गया है. तेजस्वी यादव पर्यटन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे. इधर, जगदानंद सिंह ने दावा किया कि उनके बेटे ने राज्य के किसानों के साथ हो रहे 'अन्याय' को लेकर इस्तीफा दे दिया है.

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उन्होंने कहा, "भारत किसानों से अलग नहीं है. गांधी और शास्त्री ने इसे समझा, और सभी को इसे समझना चाहिए. सौभाग्य से, कृषि मंत्री (सुधाकर सिंह) ने न केवल इसे समझा, बल्कि उनके लिए बलिदान दिया." सिंह ने आगे दावा किया कि मंडी कानून (कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम) के खात्मे ने राज्य के किसानों को तबाह कर दिया है. 

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उन्होंने कहा, "किसानों और उनके साथ हो रहे अन्याय के लिए किसी को खड़े होने की जरूरत है. कृषि मंत्री ने इस बाबत कदम उठाया." दरअसल, नया विवाद शुरू करते हुए पिछले महीने, सुधाकर सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक सभा को बताया था कि उनका विभाग "चोरों" से प्रभावित हैं और वह "चोरों के मुखिया" की तरह महसूस करते हैं. इस पर काफी विवाद हुआ. हालांकि, बाद में भी उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्होंने जो कहा था वो उस पर कायम हैं. 

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उन्होंने कहा था, "हमारे (कृषि) विभाग की एक भी शाखा ऐसी नहीं है, जो चोरी नहीं हो रही है. विभाग का प्रभारी होने के कारण मैं उनका सरदार बन गया हूं. मेरे ऊपर और भी कई सरदार हैं. सरकार बदल गई है, लेकिन काम करने का तरीका वही है. सब कुछ पहले जैसा ही है."

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केवल जूनियर सिंह ही नहीं, तेजस्वी ने सीनियर सिंह पर भी सख्ती की है. तेजस्वी यादव ने जगदानंद सिंह की भी निंदा की, जिन्होंने नीतीश कुमार के भविष्य के बारे में कुछ विवादास्पद राजनीतिक टिप्पणी की थी. उन्होंने पहले उनके बयान को नकारा, फिर यह सुनिश्चित किया कि वे भविष्य में इस तरह के कोई भी बयान ना दें.

वरिष्ठ आरजेडी नेता जगदानंद सिंह ने पंद्रह वर्षों तक लालू यादव और पत्नी राबड़ी देवी के अधीन आरजेडी सरकारों में मंत्री के रूप में कार्य किया. वह लालू यादव और उनके बेटे दोनों के करीबी सहयोगी थे, जो सुधाकर सिंह को कैबिनेट में शामिल करने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक था, जिन्होंने पहली बार विधायक होने के बावजूद कृषि जैसा एक बड़ा विभाग प्राप्त किया. यह तब हुआ जब जूनियर सिंह एक चावल घोटाले में भी उलझे हुए हैं. हालांकि, विपक्षी बीजेपी उनके कैबिनेट में शामिल होने के बाद लगातार निशाना साध रही है. 

चूंकि, सुधाकर सिंह तेजस्वी यादव की पसंद थे, इसलिए सभी ने उन्हें हटाने की मांग को खारिज कर दिया. हालांकि, सिंह ने नीतीश कुमार से कहा कि कुमार की सरकार के पिछले 17 वर्षों में कुछ भी अच्छा नहीं हुआ. 

तेजस्वी यादव ने कथित तौर पर पिछले गुरुवार को जगदानंद सिंह की टिप्पणी का भी मुद्दा उठाया, जहां उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार को अगले साल जूनियर यादव के लिए रास्ता बनाना चाहिए, और 2024 के संसदीय चुनावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इससे नाराज तेजस्वी यादव ने कहा कि यह अनावश्यक है और सभी वरिष्ठ नेताओं को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए. अगले ही दिन, एक बयान जारी किया गया, जिस पर जगदानंद सिंह ने हस्ताक्षर किए, जिसमें भविष्य में इस तरह के किसी भी बयान को प्रतिबंधित किया गया है.

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पिछले चार दिनों में हुई ये दो घटनाएं तेजस्वी यादव के 'नो- नॉनसेंस' मूड को साफ तौर पर दर्शाती हैं. उपमुख्यमंत्री उनकी चापलूसी और नीतीश कुमार की आलोचनात्मक बयान देने वाले नेताओं से अतिरिक्त सतर्क रहते हैं, जिसमें उनकी पार्टी के संबंधित कोर वोट बैंकों को भ्रमित करने वाले संकेत भेजने की क्षमता है.

तेजस्वी यादव इस तथ्य से सावधान हैं कि बीजेपी मशीनरी नीतीश कुमार के मुख्य आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईबीसी) मतदाताओं के बीच यह संदेश फैलाने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है कि आरजेडी तेजस्वी यादव को ताज पहनाने की जल्दी में है, और किसी भी समय नीतीश कुमार की पीठ में छुरा घोंप सकती है.

बीजेपी इस बात से भी वाकिफ है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दावों के बावजूद हकीकत यही है कि महागठबंधन के वोटों का गणित और नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव के बीच नए सिरे से केमिस्ट्री गठबंधन को राज्य में लगभग अजेय बना देती है.

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