बैसी विधानसभा सीट: जहां 64% मुस्लिम वोट बैंक के बावजूद मुकाबला त्रिकोणीय

बिहार की बैसी विधानसभा सीट, जो भौगोलिक रूप से पूर्णिया जिले में स्थित है लेकिन किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, राजनीतिक रूप से राज्य की सबसे संवेदनशील सीटों में गिनी जाती है. बैसी और डगरुआ प्रखंडों को मिलाकर बनी इस सीट का गठन 1951 में हुआ था.

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  • बिहार की बैसी विधानसभा पूर्णिया जिले में है और किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जो संवेदनशील मानी जाती है
  • इस सीट पर 64.39 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो चुनावी समीकरणों को निर्णायक रूप से प्रभावित करती है
  • बैसी की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, गेहूं, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं
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बिहार की बैसी विधानसभा सीट, जो भौगोलिक रूप से पूर्णिया जिले में स्थित है लेकिन किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, राजनीतिक रूप से राज्य की सबसे संवेदनशील सीटों में गिनी जाती है. बैसी और डगरुआ प्रखंडों को मिलाकर बनी इस सीट का गठन 1951 में हुआ था और अब तक यहां 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर 64.39% मुस्लिम आबादी का स्पष्ट प्रभुत्व है, जो इसके चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से तय करता है।

बैसी विधानसभा सीट अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र है, जहां 2020 के अनुसार कुल 2,66,574 मतदाता पंजीकृत थे. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,39,772 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,26,802 थी. अपनी मजबूत मुस्लिम उपस्थिति के कारण, यह सीट पारंपरिक रूप से कांग्रेस और राजद का गढ़ रही है, लेकिन हाल के वर्षों में AIMIM के उभार ने यहां के राजनीतिक समीकरण को बदल दिया है.

क्या मुद्दे रहे हैं

बैसी विधानसभा की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करती है. धान यहां की प्रमुख फसल है, साथ ही किसान गेहूं, मक्का, दलहन, सरसों, जूट और मौसमी सब्जियां भी उगाते हैं। जूट निचले इलाकों के किसानों के लिए नगद आय का प्रमुख साधन है. कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ होने के बावजूद, किसानों के लिए बेहतर सिंचाई सुविधाओं और आधुनिक कृषि तकनीकों तक पहुंच एक बड़ा मुद्दा है. क्षेत्र में बैसी एग्रो इंडस्ट्रीज और वीके मशीन्स प्रा. लि. जैसे कृषि आधारित छोटे उद्योग हैं, जो स्थानीय रोजगार प्रदान करते हैं, लेकिन व्यापक औद्योगिक विकास की मांग बनी हुई है. वर्तमान विधायक (AIMIM से निर्वाचित) का राजद में शामिल होना क्षेत्र की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े करता है.

वोट गणित और राजनीतिक इतिहास

बैसी सीट पर राजनीतिक दलों का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा है. कांग्रेस को यहां 4, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को 4, निर्दलीय 2, अन्य (BJP, JD, Lokdal, PSP, AIMIM) 5 (प्रत्येक 1) बार जीत मिल चुकी है.

हाल का इतिहास

2020 चुनाव: AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने भाजपा के विनोद कुमार को हराकर जीत दर्ज की. राजद के अब्दुस सुभान तीसरे स्थान पर रहे.

2015 चुनाव: राजद के अब्दुस सुभान (जिन्होंने इस सीट से अपनी छठी जीत दर्ज की थी) ने निर्दलीय उम्मीदवार विनोद कुमार को 38,740 वोटों के बड़े अंतर से हराया.

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2010 चुनाव: इस बार सीट भाजपा के संतोष कुशवाहा के कब्जे में गई थी.

वर्तमान स्थिति: वर्तमान में यह सीट AIMIM के पास थी, लेकिन यहां से निर्वाचित विधायक अब राजद की लालटेन थाम चुके हैं, जिससे यह सीट आगामी चुनावों से पहले ही चर्चा का विषय बनी हुई है।

माहौल क्या है?

इस बार बैसी का चुनावी मुकाबला और भी रोचक होने की उम्मीद है. पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी राजद/कांग्रेस गठबंधन और NDA के अलावा, AIMIM (जो अपनी जमीन बचाने की कोशिश करेगी) मैदान में है.

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इसके साथ ही, प्रशांत किशोर की नई पार्टी 'जन सुराज' और अरविंद केजरीवाल की 'आम आदमी पार्टी' (आप) के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय से बहुकोणीय बन सकता है. इन नई पार्टियों की उपस्थिति से मुस्लिम और गैर-मुस्लिम वोटों का समीकरण प्रभावित होने की पूरी संभावना है, जिससे किसी भी प्रमुख दल के लिए स्पष्ट बहुमत हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. अंततः, बैसी सीट पर कृषि आधारित विकास, रोजगार की मांग और 64% से अधिक मुस्लिम मतदाताओं का निर्णायक रुख ही चुनाव परिणाम तय करेगा.

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