- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों के लिए अब तक 1250 से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है.
- राजद, कांग्रेस, वाम दलों और वीआईपी के बीच सीट बंटवारे और प्रत्याशी चयन को लेकर भ्रम बना हुआ है.
- कुछ सीटों पर राजद को चुनाव चिन्ह दिया, जबकि कुछ क्षेत्रों में दोनों दलों के बीच सीधी टक्कर हो रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुक्रवार को संपन्न हो गई. इस दौरान सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) जहां आत्मविश्वास से भरा चुनाव अभियान चला रहा है, वहीं विपक्षी ‘इंडिया' गठबंधन में भ्रम की स्थिति नजर आ रही है. निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण के 121 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अब तक 1,250 से अधिक उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल किए हैं. यह संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कई जिलों से आंकड़े आने बाकी हैं.
कम-से-कम आधा दर्जन सीटों पर ‘इंडिया' गठबंधन के एक से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि यदि इनमें से कोई प्रत्याशी 20 अक्टूबर तक नाम वापस नहीं लेता है तो 'फ्रैंडली फाइट' की स्थिति बन सकती है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, तीन वामदलों और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) वाले गठबंधन में अब तक सीटों के बंटवारे को लेकर स्पष्टता नहीं है. कौन सी पार्टी किन सीटों पर लड़ेगी, इसे लेकर भी भ्रम बना हुआ है.
कांग्रेस ने जाले सीट पर राजद नेता ऋषि मिश्रा को अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ने की अनुमति दी है, लेकिन बदले में राजद ने लालगंज सीट पर उदारता नहीं दिखाई, जहां माफिया एवं राजनीतिक नेता मुन्ना शुक्ला की पुत्री शिवानी शुक्ला ने नामांकन दाखिल किया, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार आदित्य कुमार राजा भी मैदान में हैं.
वैशाली और कहलगांव में भी राजद-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की स्थिति बन रही है. इसके अलावा कांग्रेस को कम-से-कम तीन सीटों - बछवाड़ा, राजापाकर और रोसेरा- पर भाकपा उम्मीदवारों से मुकाबला करना पड़ सकता है. वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी इस बार स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. उनकी पार्टी 2020 में चार सीटें जीतने में सफल रही थी.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं राज्यसभा में जाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं, बल्कि चाहता हूं कि ‘इंडिया' गठबंधन की सरकार बने और मैं उपमुख्यमंत्री बनूं.'' ‘इंडिया' गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे राजद नेता तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं.
पहले चरण में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (तरापुर) और विजय कुमार सिन्हा (लखीसराय) सहित कई दिग्गज नेता चुनावी रण में हैं. इनके अलावा मंत्री मंगल पांडे (भाजपा) और विजय कुमार चौधरी (जदयू) भी चुनाव मैदान में हैं. इधर भाजपा ने तेजतर्रार चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सारण में एक रैली को संबोधित किया और उसके बाद पटना में ‘‘बुद्धिजीवी सम्मेलन'' में भाग लिया.
शाह ने राजद शासन काल की तुलना ‘‘एक गड्ढे'' से करते हुए कहा,‘‘हमने उस गड्ढे को भर दिया है और अब अगले पांच वर्षों में एक मजबूत इमारत खड़ी करेंगे.'' उन्होंने कांग्रेस-राजद गठबंधन पर ‘‘अपराधियों और विदेशी घुसपैठियों'' को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए जनता से अपील की कि ‘‘लालू प्रसाद को फिर वापसी का मौका न दें जिन्हें आपने 2005 में सत्ता से बेदखल किया था.''
भाजपा के मुख्य रणनीतिकार माने जाने वाले शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास जाकर ‘‘शिष्टाचार भेंट'' भी की, जिससे सीट बंटवारे को लेकर जद(यू) के असंतोष की अफवाहों पर विराम लग गया. उन्होंने एक दिन पहले एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा था कि ‘राजग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा की सीटें जद(यू) से ज्यादा हो जाएं, क्योंकि विधानसभा में पहले से ही भाजपा संख्या में बड़ी है.''
जद(यू )नेताओं ने शाह के बयान का स्वागत किया, जबकि राजद और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि शाह ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि नीतीश कुमार को सत्ता में लौटने पर फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. उधर भाजपा शासित महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों क्रमश: देवेंद्र फडणवीस, मोहन यादव, प्रमोद सावंत, पुष्कर सिंह धामी और मोहन मझी ने भी बिहार के विभिन्न जिलों में दौरा कर, राजग उम्मीदवारों के साथ नामांकन दाखिल करने में शिरकत की और जनसभाओं में हिस्सा लिया.
राजग में भाजपा और जद(यू) में 243 सदस्यीय विधानसभा की 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बनी है. शेष सीटें छोटे सहयोगियों - लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा तथा उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी गई हैं.