- कार लोन लेने से पहले अपना सिबिल स्कोर जांचना जरूरी है क्योंकि अच्छा स्कोर कम ब्याज दर दिलाता है
- ब्याज दर के साथ प्रोसेसिंग फीस और फोरक्लोजर चार्ज जैसे अतिरिक्त खर्चों को भी ध्यान में रखना चाहिए
- कार की कीमत का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा डाउन पेमेंट के रूप में देने से लोन बोझ कम होता है
Car Loan Tips: साल 2026 कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रहा है. नए साल के मौके पर कई लोग बाइक की खरीदारी करते हैं तो कई नई गाड़ी अपने घर लेकर आते हैं. वैसे भी जब से कार लोन की शुरुआत हुई है तभी से अपनी पसंद की गाड़ी खरीदना काफी आसान हो गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जल्दबाजी में लिया गया फैसला आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. सही लोन चुनना उतना ही जरूरी है जितना कि सही कार चुनना. अगर आप भी अपनी सपनों की कार के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं तो इन 5 जरूरी बातों का खास ख्याल रखें.
अपना सिबिल स्कोर चेक करें
लोन के लिए अप्लाई करने से पहले सबसे पहला काम जो आपको करना है, वो है अपना क्रेडिट स्कोर की जांच. अगर आपका स्कोर 750 या उससे ज्यादा है तो बैंक आपको कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं. वहीं, कम स्कोर होने पर या तो लोन रिजेक्ट हो सकता है या आपको बहुत ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ सकता है.
ब्याज दर के साथ प्रोसेसिंग फीस का रखें ध्यान
अक्सर हम सिर्फ कम ब्याज दर देखकर खुश हो जाते हैं. लेकिन इसके पीछे छिपे दूसरे खर्चों को समझना भी जरूरी है.अमूमन बैंक लोन फाइल चार्ज के नाम पर अच्छी-खासी रकम वसूलते हैं, जिन्हें प्रोसेसिंग फीस कहा जाता है. इसकी जानकारी आपको होना जरूरी है. इसके अलावा अगर आप समय से पहले लोन चुकाना चाहते हैं, तो कई बैंक पेनल्टी यानी फोरक्लोजर चार्ज लेते हैं. इसलिए हमेशा ऐसा लोन चुनें जिसमें ये चार्ज कम हों या जीरो हों.
डाउन पेमेंट को बढ़ाएं
कोशिश करें कि कार की कीमत का कम से कम 20% से 25% हिस्सा डाउन पेमेंट के रूप में दें. आप पूछेंगे क्यों? देखिए जितना ज्यादा डाउन पेमेंट होगा, लोन की राशि उतनी ही कम होगी. इससे आपकी मासिक किस्त कम हो जाएगी और आप पर ब्याज का बोझ भी कम पड़ेगा.
EMI और लोन पीरियड का तालमेल
- छोटा टेन्योर (3-5 साल): इसमें EMI ज्यादा होती है, लेकिन आप ब्याज बहुत कम चुकाते हैं.
- लंबा टेन्योर (7 साल): इसमें EMI कम लगती है, लेकिन लंबे समय में आप कार की वेल्यू से कहीं ज्यादा पैसा ब्याज में दे देते हैं.
इनकम का हिस्सा
अपनी इनकम का सिर्फ 15-20% हिस्सा ही कार EMI के लिए रखें ताकि दूसरे खर्चों पर असर न पड़े.
बीमा और दूसरी डील्स को कंपेयर करें
शोरूम वाले अक्सर कार के साथ अपना ही इंश्योरेंस और लोन ऑफर करते हैं. ऐसे में हमेशा बाहर के बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों से उनकी तुलना करें. कई बार बाहर से इंश्योरेंस लेना और बैंक से सीधा लोन लेना शोरूम के ऑफर से 15,000 से 30,000 रुपये तक सस्ता पड़ सकता है.














