Banana Tree: हिंदु धर्म में अलग-अलग तरह के पेड़-पौधों की पूजा की जाती है. चाहे तुलसी हो, पीपल हो या फिर बरगद, पूजा से जुड़े कार्यों का इन्हें हिस्सा बनाया जाता है. ऐसा ही एक और पेड़ है केले का पेड़ जिसे पूजा में अलग-अलग तरह से शामिल करते हैं. मान्यतानुसार केले के पेड़ की पूजा विशेषकर गुरुवार के दिन की जाती है. गुरुवार के दिन को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का दिन कहा जाता है. केले के पेड़ का आकार छोड़ा होता है इसीलिए इसे केले का पौधा कहा जा सकता है. जानिए इसके धार्मिक महत्व के बारे में.
केले के पेड़ का धार्मिक महत्व
माना जाता है कि केले का पेड़ बेहद शुभ होता है और इसे भगवान विष्णु की पूजा का हिस्सा बनाया जाता है. इसके अतिरिक्त, गृहप्रवेश के दौरान द्वार के दोनों ओर केले के पौधे रखने बेहद शुभ माने जाते हैं. बहुत से लोग आम दिनों में भी केले के पौधे को घर के मुख्यद्वार पर खुशहाली और समृद्धि के प्रतीक के रूप में रखते हैं.
सत्यनारायण के व्रत की कथा का जब पाठ होता है तब भी भगवान का मंडप बनाने के लिए केले के पौधे को इस्तेमाल में लाया जाता है. इसके अतिरिक्त, धार्मिक मान्यतानुसार विवाह के मंडप में भी केले के पौधों को लगाया जाता है. केले के पत्ते (Banana Leaves) को पात्र की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है. आपने कई बार देखा होगा कि दक्षिण भारतीय भोजन केले के पात्र में ही परोसा जाता है. भगवान को भोग लगाने के लिए भी कुछ भक्त केले के पात्र का इस्तेमाल करते हैं.
धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भी केले के पौधे को उपयोग में लाया जाता है. इसके तने को सौभाग्य का प्रतीक मानते हुए गणेश पूजा में इसका इस्तेमाल होता है. मान्यतानुसार गणपति बप्पा को बहुत से लोग केले के पत्ते भी अर्पित करते हैं.
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा (Lakshmi Puja) के दौरान केले को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है. केले का इस्तेमाल पंजीरी समेत कई तरह के पकवान बनाने में किया जाता है. केले के पत्ते को तना समेत दुर्गा पूजा में भी मंडप और स्टेज पर सजाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)