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शनि ढैय्या और शनि की साढ़े साती में क्या है अंतर, जानिए यहां

Shani ki Sadhe Sati: शनि देव जब किसी राशि में भ्रमण करते हैं तो उस राशि में शनि की स्थिति के आधार पर साढ़े साती और ढैय्या के योग बनते हैं. देखा जाए तो साढ़े साती और ढैय्या हमेशा ही कष्टकारी नहीं होते हैं.

Edited by Updated : December 18, 2023 6:57 AM IST
शनि ढैय्या और शनि की साढ़े साती में क्या है अंतर, जानिए यहां
Shani Dhaiyya: शनि देन को माना जाता है न्याय का देवता.  
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Shani Dev Effects: शनिदेव को हिंदू धर्म में न्याय का देवता कहा गया है. मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्म के हिसाब से उसको फल देते हैं. शनिदेव (Shani Dev) राशियों में भ्रमण के दौरान अपना प्रभाव छोड़ते हैं. इसे शनि की ढैय्या (Shani ki dhaiya) और साढ़े साती (Sade Sati) के नाम से जाना जाता है. किसी भी राशि में शनिदेव के प्रवास के दौरान पड़ा प्रभाव ही साढ़े साती औऱ ढैय्या के रूप में जाना जाता है. जिस राशि में शनिदेव साढ़े सात साल तक प्रभाव डालते हैं उसे साढ़े साती कहा जाता है और वहीं शनि की ढैय्या का प्रभाव किसी जातक पर ढाई साल तक रहता है. जानिए शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव के बारे में.

साढ़ेसाती क्या है 

जब शनिदेव किसी राशि के 12वें भाव या राशि में प्रवास करते हैं या किसी राशि के दूसरे भाव में रहते हैं तो उस राशि पर शनि का साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है. आपको बता दें कि साढ़ेसाती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, ये सारा समय ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में बंटा होता है. इस तरह से साढ़ेसाती की पूर्ण अवधि साढ़े सात साल की होती है.

शनि की ढैय्या क्या है  

जब शनि किसी गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में बैठते हैं तो इसे शनि ढैय्या का प्रभाव कहा जाता है. शनि ढैय्या का कुल समय ढाई वर्ष का होता है. आपको बता दें कि आमतौर पर यही कहा जाता है कि शनि की साढ़े साती और ढैय्या दोनों ही अशुभ और कष्टकारी होती हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. देखा जाए तो कुंडली में शनि की स्थिति ही साढ़ेसाती और ढैय्या के शुभ और अशुभ प्रभाव को दिखाती है.

ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के उपाय

चूंकि शनिदेव कर्म के अनुसार फल देते हैं इसलिए कुछ खास काम करने पर जातक शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम कर सकता है. हर शनिवार (Saturday) की सायंकाल को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. इससे  ढैय्या और साढ़ेसाती के कष्ट कम होते हैं. शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शनिवार के दिन काली उड़द, काले कपड़े, सरसों का तेल, लोहा, गुड़ आदि का दान करने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा मिलती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)