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अयोध्या के राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के दिन बन रहे हैं कई शुभ योग

Ram Mandir Pran Pratishtha: मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं और शुभ समय शुरू हो जाता है. इसीलिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मकर संक्रांति के पश्चात की तिथि का चयन किया गया है.  

Edited by Updated : January 22, 2024 7:21 AM IST
अयोध्या के राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के दिन बन रहे हैं कई शुभ योग
Ram Mandir: 22 जनवरी के दिन होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा. 
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Ram Mandir Pran Pratishtha: 22 जनवरी अयोध्या में बने राम मंदिर में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी. कई दिन चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरूआत 16 जनवरी को हो चुकी है. ज्योतिषिचार्यों के अनुसार 22 जनवरी के दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर कुल 7 शुभ और अद्भुत संयोग बन रहे हैं. शुभ योग बनना अत्यधिक कल्याणकारी माना जाता है. आइए जानते हैं प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) के दिन बन रहे शुभ संयोग और मुहूर्त के बारे में. 

प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त

22 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथि है. 22 जनवरी की शाम 7 बजकर 51 मिनट तक द्वादशी तिथि है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि है और नक्षत्र मॄगशिरा है. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं और शुभ समय शुरू हो जाता है. इसीलिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मकर संक्रांति के पश्चात की तिथि का चयन किया गया है.  

शुभ योग

22 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को सबसे पहले ब्रह्म योग (Brahma Yog) बन रहा है. यह योग का निर्माण सुबह 8 बजकर 47 मिनट तक है. इसके बाद पश्चात, इंद्र योग (Indra Yog) बनेगा और इसी योग में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस दिन सुबह 7 बजकर 14 मिनट से अगले दिन यानी 23 जनवरी को 4 बजकर 58 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग है. इस दिन दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है. 2 बजकर 19 मिनट से लेकर 3 बजकर 1 मिनट तक विजय मुहूर्त है. इस दिन सुबह 7 बजकर 36 मिनट बव करण का योग है और इसके बाद से शाम 7 बजकर 51 मिनट तक बालव करण योग का निर्माण होगा.

महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे

ज्योतिषियों के अनुसार, रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इस दिन भगवान शिव शाम 7 बजकर 51 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इसके पश्चात, नंदी पर सवार होंगे. इस समय में भगवान शिव की पूजा के साथ ही सभी प्रकार के अनुष्ठान फलदाई होते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)