
Paush Amavasya 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या मासिक चंद्र चक्र का अंतिम दिन होता है. यह वह समय है जब चंद्रमा पूरी तरह लुप्त होता है और ब्रह्मांडीय ऊर्जा पृथ्वी पर सबसे गहरी स्थिति में पहुंचती है. भारतीय संस्कृति में अमावस्या तिथि को पितरों का दिवस माना गया है, इसलिए इस दिन दान-पुण्य, तर्पण, श्राद्ध और भोजन कराने का विशेष महत्व होता है. ज्योतिर्विद एवं वास्तु विशेषज्ञ राकेश चतुर्वेदी के अनुसार, इस दिन किया गया सही दान पितरों को शांति देता है और जीवन की कई परेशानियों को कम करता है.
कैसे होते हैं घुंघराले बाल वाले लोग? ज्योतिर्विद ने बताई कर्ली बाल वाले लोगों से जुड़ी दिलचस्प बातें
अमावस्या पर दान का सही समय
अमावस्या के दिन दान का समय भी बहुत मायने रखता है.
- सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक दान करना सबसे शुभ माना गया है.
- यदि संभव हो तो ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:30 से 6:00 बजे) में दान करना अत्यंत फलदायी होता है.
- संध्या काल (शाम 5:30 से 8:30 बजे) दीपदान और तर्पण के लिए श्रेष्ठ माना गया है.
इस समय किया गया दान पितृ दोष, राहु-केतु दोष और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता है.
अमावस्या पर दान क्यों किया जाता है?
धार्मिक ग्रंथों जैसे गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण में बताया गया है कि अमावस्या पर दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सीधे पितृलोक तक पहुंचता है.
अमावस्या पर क्या दान करें?
- अन्न और रोटी दान: जरूरतमंद, गाय या पक्षियों को अन्न देना बहुत शुभ होता है.
- काला तिल: पितृ शांति और शनि-राहु दोष के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है.
- कपड़ा दान: साफ या नया कपड़ा, खासकर सफेद वस्त्र, कंबल या शॉल.
- दीपक और तेल: मंदिर या गरीब व्यक्ति को दीपक देना अंधकार दूर करने का प्रतीक है.
- गाय को चारा: गुड़-रोटी या हरा चारा देना पुण्यदायी है.
- भोजन दान: किसी भूखे व्यक्ति को भोजन कराना विशेष फल देता है.
- जूते-चप्पल और गुड़: शनि दोष और जीवन की रुकावटें कम होती हैं.
अमावस्या पर क्या दान न करें?
- लोहे के बर्तन
- फटे या गंदे कपड़े
- नमक और मांसाहार
- नुकीली चीजें (चाकू, कैंची, कील)
इन वस्तुओं का दान नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
ज्योतिर्विद कहते हैं, अमावस्या पर श्रद्धा और सही विधि से किया गया दान न केवल पितरों को शांति देता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी लाता है. दान करते समय भावना शुद्ध होनी चाहिए, यही सबसे बड़ा पुण्य है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)