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क्या आपकी कुंडली में है गजकेसरी योग, आर्थिक स्थिति होगी मजबूत

गजकेसरी दो शब्द यानी 'गज' और 'केसरी' से मिलकर बना है. गज यानी हाथी और केसरी यानी सिंह, दोनों काफी मजबूत होते हैं और अगर किसी कुंडली में यह योग बने तो जातक को उसी मजबूती के साथ शुभ फल भी मिलता है.

Edited by Updated : April 07, 2025 6:37 AM IST
क्या आपकी कुंडली में है गजकेसरी योग, आर्थिक स्थिति होगी मजबूत
कुंडली के पहले भाव में गजकेसरी योग के प्रभाव से जातक का स्वास्थ्य बेहतर होता है.
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Kundali gajkaesari yog : कुंडली में कई तरह के योग होते हैं. इनमें कुछ शुभ तो कुछ अशुभ होते हैं. सारे योग ग्रहों के संयोग पर आधारित होते हैं. यहां हम बात करेंगे, कुंडली में बनने वाले एक महत्वपूर्ण योग गजकेसरी. गजकेसरी योग काफी महत्वपूर्ण होता है. किसी की कुंडली में अगर यह योग बन रहा हो, तो उस जातक की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होती है. जातक को जीवन में धन प्राप्ति के भी प्रबल योग बनते हैं.

कैसे बनता है गजकेसरी योग

गजकेसरी दो शब्द यानी 'गज' और 'केसरी' से मिलकर बना है. गज यानी हाथी और केसरी यानी सिंह, दोनों काफी मजबूत होते हैं और अगर किसी कुंडली में यह योग बने तो जातक को उसी मजबूती के साथ शुभ फल भी मिलता है. यह योग गुरु और चंद्रमा के संयोग से बनता है. अगर केंद्र यानी लग्न भाव, चौथे या दसवें भाव में गुरु और चंद्रमा साथ हों, तो गजकेसरी योग बनता है. इसी तरह अगर गुरु और चंद्रमा केंद्र में हों और एक-दूसरे को देख रहें हों, तो भी गजकेसरी योग बनता है. हालांकि, दोनों में से एक ग्रह भी कमजोर हो, तो इस योग का पूरा फल नहीं मिलता.

गजकेसरी योग के शुभ फल

कुंडली के पहले भाव में गजकेसरी योग के प्रभाव से जातक का स्वास्थ्य बेहतर होता है और उसे समाज में प्रतिष्ठा मिलती है. इसी तरह सातवें भाव में इस योग के प्रभाव से आर्थिक स्थिति बेहतर होती है.व्यापार में भी लाभ होता है. वहीं नौवें भाव में गजकेसरी योग के प्रभाव से भाग्य का पूरा साथ मिलता है. विभिन्न भाव में इस योग के अलग-अलग प्रभाव होते हैं. जातक को विदेश यात्रा का भी मौका मिल सकता है. इस योग के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, समझदार, सरल और मेहनती होता है.

इस स्थिति में गजकेसरी योग का नहीं मिलता है लाभ

हालांकि, कुंडली के विभिन्न भावों में यह योग ज्यादा प्रभावी नहीं होता है.अगर जातक की कुंडली के छठे, आठवें या 12वें भाव में गजकेसरी योग बन रहा है, तो इसका प्रभाव ज्यादा देखने को नहीं मिलता है.अगर किसी भाव में चंद्रमा शुभ हों और गुरु अशुभ स्थिति में हो, तब भी इस योग का लाभ नहीं मिलता है.अगर गजकेसरी योग के साथ ही केमद्रुम योग भी बन रहा हो, तो भी इस महत्वपूर्ण योग का लाभ नहीं मिलता है.