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कुंडली के दसवें भाव में अशुभ ग्रहों का प्रभाव कैसा होता है, जान लीजिए यहां

Ashubh Grah: अगर आपकी कुंडली के दसवें भाव में अशुभ ग्रह हों तो आपके जीवन पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है, आइए जानते हैं.

Edited by Updated : January 31, 2024 5:55 PM IST
कुंडली के दसवें भाव में अशुभ ग्रहों का प्रभाव कैसा होता है, जान लीजिए यहां
दसवें भाव में सूर्य का प्रभाव आपके करियर पर भी दिखाई देता है.
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Horoscope: कुंडली का दसवां भाव काफी महत्वपूर्ण होता है. वैसे तो इस भाव में किसी भी ग्रह का होना अच्छा ही होता है, लेकिन कई बार अशुभ ग्रहों के प्रभाव के कारण स्थिति विपरित हो सकती है. कई बार व्यक्ति को असंतोष का भी सामना करना पड़ सकता है जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है. अशुभ ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति को काफी संघर्ष के बाद ही सफलता की प्राप्ति होती है. व्यक्ति में अहंकार भी देखने को मिल सकता है. दसवें भाव में अगर शुभ ग्रह हों तो उसके आपके जीवन पर कई अन्य प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं. कुंडली में सूर्य, मंगल, शनि, राहू और केतु को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. अगर आपकी कुंडली के दसवें भाव में अशुभ ग्रह हों तो आपके जीवन पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है, आइए जानते हैं.

कुंडली के दसवें भाव में अशुभ ग्रह

दसवें भाव में सूर्य का प्रभाव आपके करियर पर भी दिखाई देता है. यह आपके कर्मक्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होता है. सूर्य के प्रभाव से आप जिम्मेदारियों को पूरा करने में भी समर्थ होंगे. इस भाव में सूर्य अच्छा माना जाता है और इसके अनुकूल परिणाम भी प्राप्त होते हैं. इसके प्रभाव से व्यक्ति बुद्धिमान और विद्वान होता है. आपके भीतर नेतृत्व क्षमता भी देखने को मिलती है. सूर्य के प्रभाव से सरकारी पद भी प्राप्त हो सकता है. ऐसे लोगों को जीवन में काफी सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है. पिता के साथ आपके संबंध भी बेहतर रहेंगे. हालांकि इस भाव में सूर्य के नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं. इस कारण आपकी माता को भी परेशानी हो सकती है.

छोटे भाई-बहनों के लिए बेहतर नहीं है मंगल की यह स्थिति

दसवें भाव में मंगल के प्रभाव से व्यक्ति में काफी एनर्जी देखने को मिलेगी. ऐसे लोग काफी महत्वाकांक्षी भी हो सकते हैं. मंगल के प्रभाव से करियर में भी सफलता की प्राप्ति होती है. व्यक्ति किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करने में भी सक्षम होता है. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति धन-धान्य से संपन्न होता है. ऐसे लोग सुखी जीवन व्यतीत करते हैं. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति काफी महत्वाकांक्षी भी होगा और उसे पद और प्रतिष्ठा की भी प्राप्ति होगी. ये जीवन में भी काफी सफल होते हैं. हालांकि, इस भाव में मंगल छोटे भाई-बहन के लिए ज्यादा बेहतर नहीं है. माता के स्वास्थ्य में भी कमी देखने को मिल सकती है. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति चिकित्सा के क्षेत्र में भी जानकार हो सकता है. इंजीनियरिंग और हथियारों से जुड़े कार्य में मंगल के प्रभाव से लाभ देखने को मिल सकता है.

शनि का प्रभाव

शनि को न्याय का देवता माना जाता है, ऐसे में व्यक्ति अपने कार्यों के प्रति प्रतिबद्ध होता है. ऐसा व्यक्ति निर्णय लेने में भी सक्षम होता है शनि के प्रभाव से वह गलत कार्यों से भी बच सकता है. शनि के प्रभाव से आपको जीवन में कोई भी उपलब्धि धीमी गति से ही सही, लेकिन स्थिर और दीर्घकालिक रूप से मिलती है. शनि के प्रभाव से व्यक्ति की पुण्यकर्मों में भी रूचि देखने को मिलती है. ये काफी परिश्रमी भी होते हैं और अपने परिश्रम की बदौलत इन्हें कई उपलब्धि भी हासिल होती है. इनकी नेतृत्व क्षमता भी बेहतर होती है. इन्हें उच्च पद की भी प्राप्ति हो सकती है. ऐसे लोग राजसी जीवन जीने वाले भी हो सकते हैं.

आलस्य को त्यागना है जरूरी

दसवें भाव में राहू के प्रभाव से व्यक्ति काफी मेहनती और कार्य के प्रति समर्पित हो सकता है. इन्हें समाज में काफी प्रसिद्धि मिलती है. अगर राहू नकारात्मक स्थिति में हो तो यह आपके जीवन को विपरीत रूप से प्रभावी बना सकता है. राहू के प्रभाव से व्यक्ति निडर होता है. ये काफी बुद्धमान होते हैं और इनमें परोपकार की भावना भी देखने को मिल सकती है. इनमें साहित्य के प्रति रुचि भी देखने को मिलती है और इस कारण लेखन आदि के क्षेत्र में भी इनका झुकाव होता है. समाज में इन्हें काफी यश और कीर्ति भी हासिल होती है. आपको कोई महत्वपूर्ण पद की भी प्राप्ति हो सकती है. ऐसे लोग व्यापार में भी निपुण होते हैं. हालांकि शुरुआती दौर में राहु के कारण व्यक्ति को काफी परेशानी हो सकती है. ऐसे में आपको आलस्य को त्यागने के साथ ही खुद में उत्साह को बनाए रखने की जरूरत होगी.

केतु के कारण वाहन से हो सकती है परेशानी

दसवें भाव में केतु के कारण आपकी बुद्धि अच्छी होगी. आप धन और शक्ति प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित हो सकते हैं. अगर केतु नकारात्मक स्थिति में है तो व्यक्ति गैरजिम्मेदार भी हो सकता है. इस भाव में केतु के प्रभाव से व्यक्ति बुद्धिमान और तेजस्वी होता है. ऐसे लोग स्वभाव से भी काफी मिलनसार हो सकते हैं. समाज में भी इनका प्रभाव देखने को मिलता है. यही कारण है कि इन्हें अपने विरोधियों से भी प्रशंसा मिलती है. कई यात्राएं भी हो सकती हैं. आप अच्छा कार्य करना चाहेंगे लेकिन उसमें बाधाएं आ सकती हैं. वाहन चलाने में भी सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा परेशानी हो सकती है. दसवें भाव में केतु के प्रभाव से जानवरों से भी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है. केतु के प्रभाव से पैर में तकलीफ के साथ ही वात रोग भी हो सकते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)