ऑस्ट्रेलिया के एक सुदूर समुद्री तट पर गुंबद के आकार की एक रहस्यमय वस्तु बहकर आई है और ऐसा माना जा रहा कि यह 20 साल पुराने भारतीय रॉकेट का एक टुकड़ा हो सकती है जिसका इस्तेमाल उपग्रह प्रक्षेपण के लिए किया गया था.
गुंबद के आकार की यह वस्तु पर्थ से लगभग 250 किलोमीटर उत्तर में ग्रीन हेड समुद्र तट पर पाई गई है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा' द्वारा संपर्क किये जाने पर ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी से औपचारिक संचार प्राप्त होने की पुष्टि की लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई विवरण नहीं दिया.
विचित्र दिखने वाली इस वस्तु को अंतरिक्ष कचरे का टुकड़ा घोषित कर दिया गया है, जबकि ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी (एएसए) सहित राष्ट्रीय एजेंसियां इस वस्तु का विश्लेषण कर रही है.
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया पुलिस ने एक बयान में कहा कि इस समय, यह माना जाता है कि वस्तु अंतरिक्ष का कचरा है.
एक अंतरिक्ष विशेषज्ञ का कहना है कि यह वस्तु 20 साल पुराने भारतीय रॉकेट का एक टुकड़ा हो सकती है.
‘ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन' की खबर के अनुसार, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की इंजीनियर एंड्रिया बॉयड ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह वस्तु उपग्रह प्रक्षेपण करने वाले भारतीय रॉकेट से गिरी है.
उन्होंने कहा, ‘‘इसके आकार के आधार पर हमें पूरा विश्वास है कि यह भारतीय रॉकेट के ऊपरी चरण का एक इंजन है जिसका इस्तेमाल कई अलग-अलग मिशन के लिए किया जाता है.'' उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह इस वर्ष का नहीं है.
खबर के अनुसार यह 20 वर्ष पुराना हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन साथ ही, जब इसे समुद्र की ओर फेंक दिया जाता है तो यह सामान्य से अधिक पुराना दिखने लगता है.''
समाचार पत्र ‘सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड' की खबर के अनुसार सोशल मीडिया पर कई लोग यह अटकलें लगाने लगे कि यह वस्तु भारतीय रॉकेट से अंतरिक्ष कचरे का एक टुकड़ा थी.
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री डॉ. डोरिस ग्रोसे और फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष पुरातत्वविद् डॉ. ऐलिस गोर्मन का मानना है कि यह संभवतः भारत की अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपण के तीसरे चरण का एक ईंधन सिलेंडर है।
पुलिस ने पहले इस वस्तु को ‘‘खतरनाक'' करार दिया था क्योंकि वे इस बात का पता लगा रहे थे कि क्या इससे समुदाय के लिए कोई खतरा तो नहीं है.
वस्तु के विश्लेषण के बाद, अग्निशमन एवं आपात सेवा विभाग और रसायन विज्ञान केंद्र ने पाया कि इससे समुदाय को कोई खतरा नहीं है.
बॉयड ने कहा कि यह बात महत्वपूर्ण है कि लोग वस्तु को न छुएं. उन्होंने कहा, ‘‘इसमें अभी भी कुछ ईंधन हो सकता है और लोगों को इसे नहीं छूना चाहिए.''