Viral Art At Patna Metro Is Not Madhubani: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक तस्वीर ने खूब धमाल मचा रखा है, जो कि है एक मेट्रो कोच की, जो पूरी तरह से पारंपरिक भारतीय कला (Traditional Indian Art) से सजा हुआ है. पहली नज़र में तस्वीर किसी सांस्कृतिक प्रदर्शनी का हिस्सा लगती है...ट्रेन के पूरे कोच पर बनी रंग-बिरंगी आकृतियां, पारंपरिक पैटर्न और लोक कला की झलक देखकर हर कोई बस 'वाह' कह उठा. पोस्ट के साथ दावा किया गया कि ये पटना मेट्रो (Patna Metro) की नई शुरुआत है, जिसमें मधुबनी आर्ट (Madhubani Art) को सजावट के लिए इस्तेमाल किया गया है, लेकिन... क्या ये सच था?
इंटरनेट ने उठाए सवाल, शुरू हुई 'आर्ट' की बहस (metro coach artwork)
जैसे ही पोस्ट वायरल हुई, लोग दो हिस्सों में बंट गए. कई यूजर्स ने गर्व से लिखा, 'बिहार की कला फिर चमक रही है.' तो वहीं कुछ लोगों ने कहा, 'ये कही से भी मधुबनी पेंटिंग नहीं लग रही.' एक यूजर ने कमेंट किया, 'ये वर्ली (वारली) कला है, मधुबनी नहीं.' दूसरे ने लिखा, 'वर्ली (वारली) मंडला और डूडलिंग जैसा लग रहा है ये.' इसी बीच एक जिज्ञासु यूजर ने मामले की सच्चाई जानने के लिए X (Twitter) पर मौजूद AI chatbot Grok को टैग किया और पूछा, 'यह कौन सी कला है? वारली या मधुबनी? संकेत- यह पुणे में है.'
Grok ने बताया सच — ये पुणे मेट्रो है (Pune Metro viral photo)
Grok का जवाब साफ था, 'ये महाराष्ट्र की 'वर्ली (वारली) कला है. ये छड़ीनुमा आकृतियां और आदिवासी आकृतियां पारंपरिक वारली शैली की हैं.' यानि कि वायरल तस्वीर पटना नहीं, बल्कि पुणे मेट्रो (Pune Metro) की थी और कोच पर बनी कला महाराष्ट्र की पारंपरिक वर्ली आर्ट (Warli Art) थी, जो गांव के जीवन, त्योहारों और संस्कृति को दर्शाती है.
लोगों ने कहा, 'कला ही भारत की पहचान है' (viral metro coach India)
गलतफहमी दूर होने के बाद भी लोग इस आर्टवर्क के दीवाने हो गए. किसी ने लिखा, 'भाई, मधुबनी नहीं सही, पर आर्ट तो जबरदस्त है.' दूसरे ने मज़ाक में कहा, 'भगवान का शुक्र है कि यह फर्श नहीं है…वरना पान मसाला के दाग लग जाते.' इस पूरे वाकये ने फिर साबित कर दिया है कि, भारत की लोक कला (Indian Folk Art) सिर्फ सुंदर नहीं, बल्कि लोगों को जोड़ने की ताकत भी रखती है.
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