मृत महिला ने दिया जिंदा होने का सबूत, भटकते भटकते हो गए 16 साल, चौंका देगा मामला

कागजों के हिसाब से मर चुकी एक महिला को खुद को जिंदा साबित करने के लिए 1 या 2 साल नहीं, बल्कि 16 सालों तक जंग लड़नी पड़ी. इसकी वजह से उन्हें कई दिक्कतों का हर रोज सामना करना पड़ा.

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Woman Mistakenly Declared Dead In 2007: ऐसे कई मामले आपने देखे और सुने होंगे, जिसके बारे में जानकर कई बार उस पर यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता है. वहीं कई बार कुछ ऐसे मामले भी सामने आ जाते हैं, जो हैरान कर देते हैं और सोचने पर मजबूर कर देते हैं. आपने ऐसे कुछ केस तो सुने ही होंगे, जिसमें लोग इंसान के मरने के सालों बाद भी उसे कागज पर ज़िंदा रखते हैं. हाल ही में एक ऐसा ही केस इन दिनों सोशल मीडिया पर लोगों को चौंका रहा है, जिसमें एक महिला को खुद को जिंदा साबित करने के लिए 1 या 2 साल नहीं, बल्कि 16 सालों तक जंग लड़नी पड़ी.

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला है अमेरिका का, जहां एक महिला को खुद को जिंदा साबित करने के लिए बेहद लंबा समय लग गया. महिला का नाम मैडेलिन-मिशेल कार्थेन (Madeline-Michelle Carthen) बताया जा रहा है. सेंट लुइस की रहने वाली मैडेलिन के लिए सामान्य ज़िंदगी जीना ही असंभव हो गया है, क्योंकि दुनियाभर के लिए वे मरी चुकी थीं. दरअसल, 16 साल पहले मैडेलिन को अमेरिकन सरकार की ओर से गलती से एक सामाजिक सुरक्षा नंबर दे दिया गया था, जो एक मृत व्यक्ति से जुड़ा हुआ है. बताया जा रहा है कि, अमेरिकन सरकार की ओर से गलती से उन्हें मरा हुआ घोषित कर दिया गया था, जिसकी वजह से मैडेलिन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

साल 2007 में ये बात तब सामने आई, जब वो एक छात्रा थीं. बताया जा रहा है कि, जब सरकार द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता देने से इनकार कर दिया, तब पता चला कि कागजों पर उन्हें मृत घोषित किया जा चुका है. यही नहीं है हैरानी की बात तो यह है कि, मैडेलिन को इससे जुड़ा हुआ पेपरवर्क भी दिखाया गया. बात यही खत्म नहीं हुई, जब मैडेलिन ने कहा कि वह अभी भी जिंदा है, तो उनसे कहा गया कि, आप साबित करिए कि आप ज़िंदा हैं. इस मामले पर मैडेलिन का कहना है कि, 'भ्रष्टाचार और लापरवाही की वजह से उनकी ज़िंदगी बर्बाद हो गई है.'

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मैडेलिन के मुताबिक, उन्हें अपने घर के लिए लोन लेना था, लेकिन उन्हें लोन नहीं मिला. इस वजह से वह अपना घर भी नहीं खरीद सकीं. यही वजह है कि, जिंदा साबित करने के चक्कर में वे सुकून की नौकरी भी नहीं कर पातीं थीं, क्योंकि हर जगह पेपरवर्क के वजह से सैलरी नहीं मिल पाती थी. यही नहीं इस वजह से उन्हें रहने के लिए जगह ढूंढने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. इस पूरे मामले पर Social Security Advisory Board का कहना है कि, सरकारी लापरवाही की वजह से मैडेलिन जैसे करीब 12 हज़ार लोग हर साल ज़िंदा होते हुए भी मृत घोषित कर दिए जाते हैं.

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