भारतीय वन सेवा के अधिकारी सुशांत नंदा (IFS Officer Susanta Nanda) ने दिल्ली के स्लम (Delhi Slum) में बच्चों को पढ़ाई कराने वाले शिक्षक की प्रशंसा करने के लिए प्रसिद्ध हिंदी कवि दुष्यंत कुमार (Hindi poet Dushyant Kumar) के शब्दों का इस्तेमाल किया. पूर्वी दिल्ली में एक आंशिक रूप से निर्मित फ्लाईओवर (Man Taking Classes Under Flyover) के नीचे, सत्येंद्र पाल (Satyendra Pal) बच्चों को ऑनलाइन सीखने की सुविधा नहीं होने के लिए एक व्हाइटबोर्ड का उपयोग करते हैं. उत्तर प्रेदश के एक गांव के रहने वाले मैथ्स ग्रैजुएट सत्येंद्र पाल 2015 से क्लास दे रहे हैं. उनकी पहल को कोरोनोवायरस-प्रेरित लॉकडाउन के दौरान बहुत प्रशंसा और सराहना मिली, जब देश भर में स्कूल बंद हो गए.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने मार्च में कक्षाएं रोक दीं क्योंकि उस समय काफी मामले सामने आ रहे थे. लेकिन माता-पिता ने मुझे फिर से पढ़ाने का अनुरोध किया. मैं पैसा कमाना चाहता हूं, लेकिन अगर मैं खुद पर ध्यान दूंगा तो मैं अकेले कमाऊंगा. अगर मैं इन बच्चों की मदद करता हूं, तो वे सभी मेरे साथ कमाएंगे.'
कमजोर बच्चों की मदद करने के लिए सत्येंद्र पाल की पहल को आईएफएस ऑफिसर सुशांत नंदा ने भी सराहा. उन्होंने तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, 'हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.'
दुष्यंत कुमार के शब्दों का इस्तेमाल आईपीएस ऑफिसर दीपांशु काबरा भी कर चुके हैं. एटीएम मशीन के पास ही एक गार्ड पढ़ाई कर रहा था. उसकी तारीफ में उन्होंने इस लाइन का इस्तेमाल किया था.
आईएएस ऑफिसर अवनीष शरण ने भी एक तस्वीर शेयर की थीं, जहां एक बच्चा चाय की दुकान पर बैठकर पढ़ाई कर रहा था. उन्होंने भी तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा था, 'हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.'
सत्येंद्र पाल अकेले शिक्षक नहीं हैं जो कठिन समय में छात्रों की मदद करने के लिए आगे आए हैं. पिछले साल, दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने उन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशंसा हासिल की, जो ऑनलाइन कक्षाओं के लिए मोबाइल फोन नहीं खरीद सकते थे.