हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छा पढ़-लिखकर आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट बने. बच्चों को किसी चीज की कमी ना हो, इसलिए पेरेंट्स उनके उज्जवल भविष्य के लिए दिन रात मेहनत करते हैं. वैसे भी आज के हाई एडवांस टेक्नोलॉजी युग में कंपटीशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में पेरेंट्स बच्चों की पढ़ाई पर मोटा पैसा खर्च करने में पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन यह क्या कोलकाता बेस्ड पेरेंट्स का स्कूली शिक्षा पर तो कुछ और ही कहना है. यह पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहा है. इस पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल भेजकर वो अपना और बच्चों का समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं. यह पेरेंट्स अपने बच्चे को ट्रेडिशनल तरीके से शिक्षा दे रहा है.
बच्चों को कैसे पढ़ाती है ये दंपत्ति (Unschooling Concept)
बता दें, एक्ट्रेस और इंफ्लुएंसर शहनाज ट्रेजरीवाला इस फैमिली से मिलीं और सारी सच्चाई जानने के बाद अपने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया. सोशल मीडिया पर यह वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक्ट्रेस ने बताया है कि यह कपल कभी भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेगा. एक्ट्रेस से बात करते हुए पिता ने बताया है, 'स्कूल जाना समय की बर्बादी है, हम ट्रैवलिंग और प्रैक्टिकल नॉलेज में विश्वास रखते हैं, इसलिए हम ज्यादा से ज्यादा सफर करते हैं'. दंपत्ति ने आगे कहा कि स्कूल ना जाना (Unschooling) को एक्सपीरियंस बेस्ड मेथड बताया है, जिसमें बच्चे को रोजमर्जा की जिंदगी के बारे में बताया जाता है, इसमें ट्रैवलिंग के जरिए वर्कशॉप, कला और साहित्य भी पढ़ाया जाता है. बता दें, इस दंपति का बेटे की क्रिकेट में दिलचस्पी है और वो क्रिकेट के जरिए गणित सीख रहा है.
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पिता ने बताया कैसे बनेगा बच्चों का करियर (Parents on Unschooling Concept)
स्कूल ना जाना मतलब किसी तरह का कोई पैटर्न नहीं, करिकुलम नहीं और ना ही कोई दबाव. बस इसमें जिंदगी आपको सबकुछ सिखाती है. वहीं, जब पिता से बच्चों के करियर और उज्जवल भविष्य पर सकंट के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'हम उन्हें उद्योगपति बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं, तो मुझे किसी भी बात की चिंता नहीं है, मेरे बच्चे अपनी इस तरह की स्कूलिंग को बहुत एन्जॉय कर रहे हैं'. अब पेरेंट्स की इस अजीबो-गरीब पहल पर कुछ लोग हैरान हैं तो कुछ अपनी राय रख रहे हैं.
लोगों का क्या कहना है ( Internet on Unschooling)
इस पर एक यूजर ने लिखा है, 'भारत में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है, ऐसे में इस माता-पिता का यह फैसला वाकई में सही है'. दूसरा यूजर लिखता है, 'अगर आपके पास पैसा है, तो फिर कोई चिंता की बात नहीं है'. तीसरा लिखता है, 'यह बच्चे एक दिन बड़े होकर देश का नाम रोशन करने वाले हैं'. चौथा यूजर लिखता है, 'मैं भी अब अपने बच्चों को ऐसी ही पढ़ाऊंगी'. एक और लिखता है, यह शानदार कॉन्सेप्ट है, मैं इस माता-पिता को सलाम करता हूं'.