ये है 'नरक का द्वार' जो 52 साल से लगातार धधक रहा है, इसे बूझाया भी नहीं जा सकता, वैज्ञानिक अभी भी हैरान

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये एक बड़ा का गड्ढा है. जिसमें चारों तरफ आग लगी हुई है. यह तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में स्थित है. यह पूरी तरह से रेगिस्तान में मौजूद है. इसे ही गेट्स ऑफ हेल यानी नरक का दरवाजा कहा जाता है. 

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सोचिए, अगर आपको पता चले कि दुनिया में एक ऐसी भी जगह है, जो 52 साल से लगातार जल रही है. इसे चाहकर भी बूझाया नहीं जा सकता है. वैज्ञानिक भी इस रहस्य को लेकर हैरान हैं. इस जगह के पास लोग जाते भी हैं. अब यह पूरी तरह से पर्यटक स्थल बन चुका है. ये जगह पूरी तरह से आग की लपटों से घिरी हुई है. इतना ही नहीं, इसमें लगी आग कभी भी किसी भी तरह से नहीं बुझ सकती है. इस जगह को नरक का दरवाजा भी कहा जाता है. वैज्ञानिक अभी तक इस पर शोध कर रहे हैं. आखिर ये जगह अभी तक बूझ क्यों नहीं पाई है. इस तस्वीर को एक सोशल मीडिया यूज़र द्वारा शेयर किया गया है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये एक बड़ा का गड्ढा है. जिसमें चारों तरफ आग लगी हुई है. यह तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में स्थित है. यह पूरी तरह से रेगिस्तान में मौजूद है. इसे ही गेट्स ऑफ हेल यानी नरक का दरवाजा कहा जाता है. 

क्या ये वाकई में शैतान का घर है या फिर इसकी कहानी कुछ और है. इस गड्ढे में धधक रही आग को लेकर तमाम लोगों की अपनी अलग-अलग थ्योरी हैं. कुछ लोगों का मानना है कि ये कोई गोपणीय जगह है. सरकार दुनिया से कुछ छिपाना चाहती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि ये आग प्राकृतिक गैस के चलते लगी हुई है. जानकारी के मुताबिक 1971 में सोवियत संघ के भू-वैज्ञानिक कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे. इस दौरान उन्हें प्राकृतिक गैस का एक बड़ा स्रोत मिला. यहां खुदाई के दौरान जमीन धंसने से बड़े गड्ढे बन गए. मीथेन के रिसने का खतरा देखते हुए यहां मौजूद वैज्ञानिकों ने एक गड्ढे में आग लगा दी. उनका मानना था कि मीथेन खत्म होने के बाद ये आग बुझ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि इस थ्योरी को लेकर अब तक ज्यादा पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं. 

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