किफ़ायती घर ढूंढना सिर्फ़ 1 या 2 बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मुश्किल होता जा रहा है. एक नई रिपोर्ट में उन शहरों का खुलासा किया गया है जहां यह संघर्ष सबसे ज़्यादा है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के पांच सबसे कम किफ़ायती महानगरीय क्षेत्र शामिल हैं.
एनुएल डेमोग्राफिक इंटरनेशनल हाउसिंग अफॉर्डेबिलिटी रिपोर्ट (The annual Demographic International Housing Affordability report) दो दशकों से आवास लागतों पर नज़र रख रही है. इस साल के एडिशन में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 10 सबसे महंगे आवास बाज़ारों की पहचान की गई है, साथ ही सबसे किफ़ायती बाज़ारों की भी.
अफोर्डेबिलिटी की रैंकिंग:
यह रैंकिंग 2023 की तीसरी तिमाही में आठ देशों के 94 प्रमुख बाज़ारों से एकत्र किए गए डेटा पर आधारित है: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, आयरलैंड, न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स. रिपोर्ट वहनीयता को मापने के लिए "मीडियन मल्टीपल" का उपयोग करती है. यह अनुपात मीडियन हाउस प्राइस को मीडियन हाउसहोल्ड इनकम से विभाजित करता है. इसके बाद बाज़ारों को उनके औसत गुणक के आधार पर पांच सामर्थ्य वर्गों में बांटा जाता है:
सस्ती (3.0 और उससे कम)
मध्यम रूप से अनअफोर्डेबल (3.1 से 4.0)
सिरीयसली अनअफोर्डेबल (4.1 से 5.0)
सेवेर्ली अनअफोर्डेबल (5.1 से 8.9)
इम्पॉसिबली अनअफोर्डेबल (9.0 और उससे अधिक)
रिपोर्ट के अनुसार, हांगकांग को अंग्रेजी बोलने वाले विश्व में सबसे कम किफायती आवास बाज़ार होने का तगमा दिया गया है.
यहां देखें लिस्ट
हांगकांग (16.7)
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया (13.3)
वैंकूवर, कनाडा (12.3)
सैन जोस, कैलिफ़ोर्निया (11.9)
लॉस एंजिल्स, कैलिफ़ोर्निया (10.9)
होनोलुलु, हवाई (10.5)
मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया (9.8)
सैन फ़्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया (9.7) (टाई)
एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया (9.7) (टाई)
सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया (9.5) (बोनस) टोरंटो, कनाडा (9.3)
इतना महंगा क्यों?
रिपोर्ट में कई ऐसे कारकों का हवाला दिया गया है जो कि सामर्थ्य संकट में योगदान दे रहे हैं. महामारी के दौरान दूर से काम करने की वजह से आवास की मांग में उछाल आया, खास तौर पर उपनगरीय और यहां तक कि दूरदराज के इलाकों में. मांग में इस उछाल ने घरों की कीमतों को काफी बढ़ा दिया क्योंकि लोगों ने घर के अंदर और आसपास के यार्ड या बगीचों में ज़्यादा जगह की मांग की.
रिपोर्ट में "शहरी नियंत्रण नीतियों" को भी दोषी ठहराया गया है, जिसका उद्देश्य वांछित क्षेत्रों में फैलाव को सीमित करना और घनत्व बढ़ाना है. हालांकि ये नीतियां अच्छे इरादों से बनाई गई हैं, लेकिन रिपोर्ट का तर्क है कि वे आवास विकास के लिए उपलब्ध भूमि को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करती हैं. पहले से ही सीमित बाज़ारों में, जमीन के ऊंचे दाम, घरों की कीमतों को भी बढ़ा रहे हैं.
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