यूपी के अस्पताल में वैन नहीं मिलने पर 2 साल के बच्चे का शव लेकर परिवार पैदल चल पड़ा

पुलिस ने कहा कि बच्चा शुक्रवार को बागपत में एक बैंक के पास एक कार की चपेट में आ गया था. उसकी वहीं तत्काल मौत हो गई थी. पुलिस के मुताबिक उसकी सौतेली माँ ने उसे धक्का दे दिया था क्योंकि वो उसके लगातार रोने से परेशान हो गई थी.

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उत्तर प्रदेश के बागपत में अपने छोटे भाई काला के शव को ले जाते 10 वर्षीय सागर
बाग़पत:

बागपत, यूपी: कार के नीचे कुचल दिए गए दो साल के काला को मौत के बाद भी इज्जत के लिए संघर्ष करना पड़ा. शनिवार को यूपी के बागपत के जिला अस्पताल में काला के शव परीक्षण के बाद, उसके परिवार को शव को घर तक ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस-वैन तक नहीं मिला. थक हार कर उनके पिता और भाई ने शव को अपनी बाहों में लिया और घर की ओर चल पड़े. इशी बीच स्थानीय लोगो ने वीडियो बनाना शुरू कर दिया और कुछ लोगों ने अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया. इसके बाद उन्हें फौरन एक वैन मिल गई.

फिर भी ये वीडियो वायरल हो गए हैं. खास तौर पर वीडियो का वह अंश जिसमें काला के 10 वर्षीय बड़े भाई को शव को ले जाते हुए देखा जा रहा है. पिता प्रवीण कुमार बागपत में एक दिहाड़ी मजदूर हैं और उनके पास ₹ 1,000 नहीं थे ताकि वो कोई वैन किराये पर ले सकें और पार्थिव शरीर के साथ अपने पैतृक गांव लिलोनखेड़ी गांव पहुंच सकें. गौरतलब है कि लिलोनखेड़ी गांव शामली जिले में पड़ता है और यह बागपत जीला से करीबन 50 किलोमीटर दूर स्थित है.

पिता प्रवीण कुमार एक दिहाड़ी मजदूर हैं और उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वो एक वैन किराया पर ले सकें. 

दो साल के बच्चे की शुक्रवार को मौत हो गई थी. दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर बागपत में एक बैंक के पास एक कार की चपेट में वो आ गया था. खबरों के मुताबिक, उसकी सौतेली माँ, सीता ने उसे दूर धकेल दिया था क्योंकि वो उसके लगातार रोने से चिढ़ गई थी. पुलिस ने उसे मौके से गिरफ्तार कर लिया था. सीता ने पुलिस को बताया कि उसका उसे नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था. बाद में बच्चे के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

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पुलिस ने मां को हिरासत में लिया.

अगले दिन अस्पताल में प्रवीण कुमार और उनके बेटे सागर के साथ एक रिश्तेदार रामपाल भी थे. रामपाल ने कहा कि उन्होंने शव को ले जाने के लिए हर वाहनों से बार-बार अनुरोध किया. उन्होंने कहा, 'अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया. प्रवीण कुमार ने कहा," बहुत देर हो चुकी थी तो हमने शव उठाया और घर की ओर चल दिए."

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प्रवीण कुमार निस्संदेह सदमे में थे और लगातार रो रहे थे. कुछ दूरी तक चलने के बाद वो थक गए और शव को बेटे सागर को सौंप दिया. रामपाल भी मदद कर रहे थे.

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बागपत के इसी जिला अस्पताल में बच्चे का पोस्टमार्टम हुआ था. 

लोगों ने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया, जिसके बाद अधिकारियों ने एक वाहन का इंतजाम किया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दिनेश कुमार ने बाद में कहा, "हमने उन्हें शव-वाहन के आने के लिए थोड़ा इंतजार करने के लिए कहा था. लेकिन वे व्याकुल औऱ दुखी थे,  और तुरंत चले गए. हम इस बात की जांच करेंगे कि वैन में देरी क्यों हुई.”

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