इंडोनेशिया (Indonesia) के एक ज्वालामुखी (Volcano) से निकल रहा लावा कौतूहल का केंद्र बना हुआ है. ये लावा लाल रंग का नहीं है. इस लावा का रंग है चमचमाता हुआ नीला. एक फोटोग्राफर (Photographer Olivier Grunewald) के मुताबिक ये एक हैरान करने वाली घटना है. Olivier Grunewald वो फोटोग्राफर हैं जो Kawah Ljen ज्वालामुखी के फटने की तस्वीरें कैप्चर कर चुके हैं. नेशनल जियोग्राफिक से उन्होंने कहा कि लावा का चमकीला नीला रंग सल्फ्यूरिक गैस के कम्बश्चन की वजह से हो सकता है. ये वीडियो कुछ साल पहले कैप्चर किया गया था. ये वीडियो एक डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा है
क्यों नीला है लावा?
फोटोग्राफर की तरह IFL साइंस ने भी नीले रंग के लावा की वजह सल्फर की मौजूदगी ही बताई है. संस्था के मुताबिक चट्टान में काफी मात्रा में सल्फर पॉकेट होने की वजह से लावा का रंग चमकीला नीला हो गया है. ये कैमिकल चट्टान की दरारों में से निकलकर बाहर आता है. जो जलने पर सल्फर डाई ऑक्साइड बन जाता है, जो एक प्रकार की गैस है. हवा से संपर्क में आने पर ये चमकीले नीले रंग की फ्लेम में तब्दील हो जाता है. ये लपटें सोलह फीट ऊपर तक जा सकती हैं.
Smithsonian Magazine के अनुसार लावा के ठंडा होने के बाद सल्फ्यूरिक रॉक्स को निकालने के लिए माइनर्स ज्वालामुखी के आसपास डेरा डाल लेते हैं. ये चट्टानें फूड और केमिकल इंडस्ट्री में बहुत काम आती हैं.
सबसे बड़ी एसिड लेक
इंडोनेशिया का ये हिस्सा एक बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र है. जो ज्वालामुखी फटने की वजह से बना है. इसकी वजह से यहां एक बड़ी झील बन चुकी है. IFL साइंस के मुताबिक Ljen कॉम्प्लेक्स में करीब 22 इरप्शन प्वाइंट है. इनके आसपास की झील दुनिया की सबसे बड़ी एसिड लेक बन चुकी है, जिसकी PH वैल्यू जीरो है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस झील में तैरना जान से खेलना साबित हो सकता है.