फोटोग्राफर ने कैद कीं ब्रज की होली की ऐसी अद्भुत तस्वीरें, देखकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे, तारीफ के लिए नहीं मिलेंगे शब्द

इस साल, दिल्ली के फ़ोटोग्राफ़र राहुल चौरसिया (@fotowithrahul) ने अपने शानदार दृश्यों के ज़रिए ब्रज होली के सार को कैद किया. उनकी तस्वीरें इस त्यौहार को उसकी पूरी भव्यता में दिखाती हैं.

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फोटोग्राफर ने कैद कीं ब्रज की होली की ऐसी अद्भुत तस्वीरें

भारत के सबसे जीवंत और प्रिय त्योहारों में से एक ब्रज होली अपने भव्य समारोहों के साथ भगवान कृष्ण और राधा की किंवदंतियों को जीवंत कर देती है. 40 दिनों तक चलने वाला रंगोत्सव ब्रज क्षेत्र को रंगों, भक्ति और आनंद के एक मंत्रमुग्ध कर देने वाले तमाशे में बदल देता है - जिसमें मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव शामिल हैं. यह त्यौहार एक पुरानी परंपरा है, जहां स्थानीय लोग और आगंतुक बरसाना में लट्ठमार होली से लेकर वृंदावन में फूलों की होली तक सदियों पुरानी रीति-रिवाजों का आनंद लेने के लिए एक साथ आते हैं.

इस साल, दिल्ली के फ़ोटोग्राफ़र राहुल चौरसिया (@fotowithrahul) ने अपने शानदार दृश्यों के ज़रिए ब्रज होली के सार को कैद किया. उनकी तस्वीरें इस त्यौहार को उसकी पूरी भव्यता में दिखाती हैं, जिसमें लाल, पीले और नीले रंग के रंगों में सराबोर भक्तगण से लेकर जोशीले जुलूस और मंदिर के अनुष्ठान शामिल हैं जो इस क्षेत्र में होली की पहचान हैं. उनका काम उत्सव की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि की एक लुभावनी झलक पेश करता है, जो इसे किसी दृश्य आनंद से कम नहीं बनाता है.

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ब्रज में होली की शुरुआत भगवान कृष्ण की चंचल कहानियों में निहित है. अपने शरारती स्वभाव के लिए जाने जाने वाले कृष्ण को वृंदावन की गोपियों को रंगों से चिढ़ाना बहुत पसंद था. किंवदंती के अनुसार, उन्होंने एक बार अपनी मां यशोदा से पूछा कि राधा इतनी गोरी क्यों हैं जबकि उनका रंग सांवला है. जवाब में, यशोदा ने सुझाव दिया कि वह राधा के चेहरे पर रंग लगाएं ताकि वे एक जैसे दिखें. उनकी बातों को दिल से मानते हुए, कृष्ण ने वैसा ही किया, जिससे रंग लगाने की आनंदमय परंपरा शुरु हुई- एक ऐसी प्रथा जो ब्रज के उल्लासपूर्ण होली समारोहों को परिभाषित करती है.

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होली, जिसे "रंगों का त्योहार" भी कहा जाता है, सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे भारत और अन्य स्थानों पर अपार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो प्रह्लाद और होलिका की कथा से प्रेरित है. यह भगवान कृष्ण और राधा के बीच दिव्य प्रेम का भी स्मरण करता है, साथ ही वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का भी प्रतीक है. 

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