भारतीय माता-पिता अपने कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपने बच्चों की परवरिश और पढ़ाई-लिखाई में लगा देते हैं. पैरेंट्स इस उम्मीद में रहते हैं कि बेहतर शिक्षा मिलने के बाद उनका बच्चा अपने पांव पर खड़ा होकर आगे जा कर पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभालेगा. कई बार ये सारी उम्मीदें बुरी तरह चकनाचूर हो जाती है. उच्च शिक्षा और कई डिग्रियां हासिल करने के बावजूद भी कई बार लोग बेरोजगार ही रह जाते हैं. सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसे ही शख्स की कहानी वायरल हो रही है. कई डिग्रियां हासिल करने के बावजूद कश्मीर का यह शख्स वादियों में ठेला लगाकर सूखे मेवे बेचने को मजबूर है.
डिग्रियों के बावजूद बेरोजगार
कश्मीर के शोपियां जिले का एक पीएचडी स्कॉलर ठेला लगाकर ड्राई फ्रूट्स बेचने को मजबूर है. देरी से पेमेंट के चलते उच्च शिक्षा विभाग में एक दशक लंबे करियर के बावजूद डॉ. मंजूर हसन को ये दिन देखना पड़ रहा है. एक इंटरव्यू में कश्मीरी पीएचडी स्कॉलर ने बताया कि, उनकी दोनों बेटियां इस बात से अंजान हैं. बता दें डॉ. मंजूर हसन ने राजनीति विज्ञान में पीएचडी करने के अलावा पब्लिक एड्मिनिस्ट्रेशन और पॉलिटिकल साइंस में डबल मास्टर्स किया है. इसके अलावा उनके पास दो बीएड डिग्री और कंप्यूटर एप्लिकेशन एंड डिजास्टर मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा की डिग्री है. एक इंटरव्यू में पीएचडी स्कॉलर ने अपनी आपबीती सुनाई है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है.
यहां देखें वीडियो
कश्मीर के पीएचडी स्कॉलर मंजूर हसन ने इंटरव्यू में न सिर्फ अपना संघर्ष और दुख साझा किया है, बल्कि अन्य क्वालिफाइड लोगों के लिए भी आवाज उठाई है. उन्होंने बताया कि, उनकी तरह कई लोग क्वालिफिकेशन के बावजूद घर चलाने के लिए ठेला लगाने और सामान बेचने के लिए मजबूर है. यूजर्स पीएचडी स्कॉलर के संघर्ष और बेरोजगारी पर अपनी राय दे रहे हैं. वीडियो पोस्ट करने के बाद इसे अब तक 12 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका है. पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक फेसबुक यूजर ने लिखा, "कश्मीर में हमारे पास उच्च शिक्षित युवा हैं, लेकिन रोजगार के अवसर बहुत कम हैं."