PETA India Dog Milk AD To Push Veganism: PETA India (पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) एक बार फिर अपने विवादित कैंपेन को लेकर चर्चा में है. वर्ल्ड मिल्क डे पर लॉन्च किया गया यह नया वेगनिज़्म अभियान लोगों के बीच बहस का मुद्दा बन गया है. इस कैंपेन के तहत मुंबई, अहमदाबाद, नोएडा और बेंगलुरु जैसी कई बड़े शहरों में एक बोल्ड बिलबोर्ड लगाया गया है, जिसमें एक महिला को कुत्ते का दूध पीते हुए दिखाया गया है. इसके साथ लिखा गया है, अगर आप कुत्ते का दूध नहीं पी सकते, तो किसी और जानवर का क्यों?
PETA इंडिया के नए कैंपेन ने मचाया हंगामा (PETA India billboard controversy)
PETA ने अपने प्रेस नोट में कहा कि यह अभियान 'स्पीशीज़िज़्म' (speciesism) को चुनौती देने के लिए है, यानी वो सोच जिसमें हम कुछ जानवरों को प्राथमिकता देते हैं और दूसरों का शोषण करते हैं. PETA ने लिखा, 'गायों और भैंसों को ज़बरदस्ती गर्भवती करना, उनके बच्चों को छीन लेना और उनके दूध का सेवन करना प्राकृतिक नहीं है, जो लोग कुत्ते का दूध पीने से घृणा करते हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि किसी अन्य जानवर का दूध पीना कैसे सही हो सकता है?'
सोशल मीडिया पर मिक्स्ड रिएक्शन (PETA India vegan message)
इस कैंपेन की तस्वीर जब PETA ने सोशल मीडिया पर साझा की, तो तुरंत ही लोगों की प्रतिक्रिया आने लगी. एक यूज़र ने लिखा, 'ये संदेश और भी अच्छे तरीके से दिया जा सकता था. ये तो सीधा दिमाग पर वार है.' दूसरे ने कहा, 'अब मैं इसे अनदेखा कैसे करूं?' तीसरे ने तीखा कमेंट किया, 'PETA की टीम को थोड़ी देर इंटरनेट से दूर रहना चाहिए.' कुछ लोगों ने तो इसे 'घिनौना और बेतुका' तक कह दिया. उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह के फोटोशॉप्ड और अतिशयोक्तिपूर्ण कैंपेन से वेगनिज़्म की छवि खराब होती है.
यहां देखें पोस्ट
PETA का नया पोस्टर देख भड़के लोग (controversial PETA ad)
हालांकि कुछ यूज़र्स ने PETA के विचार का समर्थन किया. एक यूज़र ने लिखा, 'अगर ये आपको परेशान कर रहा है, तो सोचिए कि असली सच्चाई कितनी परेशान करने वाली है. हमने जानवरों का दूध पीना सामान्य मान लिया है, जबकि यह बिल्कुल असामान्य है.' दूसरे यूज़र ने सुझाव दिया, 'सरकार को सस्ते और अधिक मात्रा में वीगन मिल्क का प्रचार करना चाहिए. इससे ज्यादा असर होगा.'
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