Amazing True Story of Arrested Tree in Pakistan: अगर कोई इंसान किसी भी तरह का अपराध करता है, तो उसे कानून की ओर से सजा दी जाती है. चोरी-डकैती, लूट-हत्या, दुष्कर्म-धमकाने जैसे मामलों में पुलिस को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करते देखा जाता है. कई बार देखा जाता है कि, जब भी कैदी को जेल के अंदर या बाहर ले जाया जाता है तो उसे हथकड़ी में बांध दिया जाता है. फिल्मों में भी अक्सर आपने कैदियों को जेल के अंदर मोटी-मोटी जंजीरों में कैद देखा होगा, लेकिन ये सब सिर्फ सबसे खूंखार और खतरनाक कैदियों के साथ ही होता है, न कि किसी जानवर-पक्षी या पेड़-पौधों के साथ, लेकिन एक ऐसी जगह भी है, जहां एक पेड़ पिछले 125 सालों से 'गिरफ्तार' (125 year old tree arrest) है और मोटी-मोटी जंजीरों में लिपटा हुआ है.
पेशावर में है यह पेड़ (Tree arrested in Pakistan)
सोचने की बात है कि, क्या सच में किसी पेड़ को 'गिरफ्तार' किया जा सकता है, वो भी किस गुनाह के लिए? चलिए आपको भी बताते हैं इस दिलचस्प कहानी के पीछे की पूरी सच्चाई. ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पेड़ पाकिस्तान के पेशावर (Peshawar chained tree) में है, जो कि तोरखन बॉर्डर के पास लैंडी कोटाल नाम की बस्ती में पिछले 125 सालों से 'गिरफ्तार' है और लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ है. यह पेड़ 1899 से इसी तरह अरेस्ट है. बताया जा रहा है कि, एक ब्रिटिश अधिकारी जेम्स स्क्विड ने नशे की हालत में इस पेड़ को 'गिरफ्तार' करवाया था.
इस पेड़ का क्या गुनाह रहा होगा (Pakistan tree chained for 125 years)
बताया जा रहा है कि, एक दिन नशे की हालत में जेम्स स्क्विड नाम के अधिकारी ने दावा किया कि ये पेड़ उनकी पकड़ में नहीं आ रहा है और बार-बार भाग रहा है, जिसके बाद उन्होंने सिपाहियों को इस पेड़ को गिरफ्तार करने का ऑर्डर दे दिया, फिर क्या था पेड़ को 'गिरफ्तार' करने के लिए उसे चारों ओर जंजीरों से बांध दिया गया. कहते हैं तब से आज तक यह पेड़ गिरफ्तार है और उसकी जंजीरें जस के तस हैं.
'ब्रिटिश शासन के अत्याचार का प्रतीक' (Tree arrested by British officer)
इस पेड़ के ऊपर लगी तख्ती सारी कहानी बयां करती है. बेवजह कैद में रह रहे इस पेड़ के ऊपर लगी तख्ती में लिखा है, 'आई एम अंडर अरेस्ट' बाकी का पूरा किस्सा भी डीटेल में लिखा है. स्थानीय लोग इस पेड़ को ब्रिटिश शासन के अत्याचार का प्रतीक मानते हैं.