विदेशी महिला ने उठाया कश्मीर की खूबसूरती बचाने का बीड़ा, 5 साल से रोज साफ कर रही डल झील

Mother of Dal: एलिस का कश्मीर से रिश्ता 25 साल पहले शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार घाटी की यात्रा की. हाल ही में वायरल एक वीडियो में वह झील से प्लास्टिक बैग्स और बोतलें निकालते हुए दिखाई दीं, जिसे देख लाखों लोगों का दिल पसीज गया.

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69 की उम्र में डल झील की 'माई' बनीं डच महिला, प्लास्टिक बीनते वीडियो ने जीते करोड़ों दिल

Viral Dal Lake video: डल झील की खूबसूरती को बचाने का संकल्प लिए 69 साल की डच महिला एलिस ह्यूबर्टिना स्पैंडरमैन (Ellis Hubertina Spaanderman) इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. लोग उन्हें प्यार से 'मदर ऑफ डल' कहने लगे हैं. हाल ही में एक वायरल वीडियो में वह झील से प्लास्टिक बैग्स और बोतलें निकालते हुए दिखाई दीं, जिसे देख लाखों लोगों का दिल पसीज गया. एलिस का कश्मीर से रिश्ता 25 साल पहले शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार घाटी की यात्रा की. इसकी प्राकृतिक सुंदरता ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने 5 साल पहले कश्मीर को ही अपना स्थायी घर बना लिया, तभी से उन्होंने डल झील की सफाई और संरक्षण को अपनी ज़िंदगी का मिशन बना लिया है.

एक महिला, एक मिशन (Ellis Hubertina Spaanderman)

न कोई संस्था, न कोई बड़ा फंड...बस एक अकेली महिला और उसका अडिग इरादा. एलिस ह्यूबर्टिना रोज़ाना डल झील के किनारे-किनारे प्लास्टिक कचरा उठाती हैं और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करती हैं. कश्मीर राइट्स फोरम ने उनका वीडियो साझा करते हुए लिखा, डल झील की सफाई के लिए डच नागरिक एलिस के समर्पण को सलाम, पिछले 5 वर्षों से वह लगातार यह काम कर रही हैं. हमें भी प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने स्वर्ग को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखना चाहिए.

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साइक्लिंग और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल की मिसाल (viral inspirational story)

एलिस न सिर्फ पर्यावरण प्रेमी हैं, बल्कि एक पैशनेट साइक्लिस्ट भी हैं. उन्हें अक्सर श्रीनगर की सड़कों पर साइकिल चलाते हुए देखा जाता है. वो इंस्टाग्राम के ज़रिए कश्मीर की खूबसूरत वादियों, लोक संस्कृति और अपनी गतिविधियों को भी साझा करती हैं. उनकी प्रोफाइल पर एक यूजर ने लिखा, क्या हिम्मती महिला हैं आप…उम्र के इस पड़ाव पर भी इतना पैशन और क्लियर टारगेट. आपका प्रोफाइल देखकर मन गदगद हो गया.

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स्थानीय लोग और पर्यावरणविद भी हुए कायल (sustainable living Kashmir)

एलिस के प्रयासों को लेकर स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता भी उनका दिल से समर्थन कर रहे हैं. उनकी खामोश लेकिन प्रभावशाली मेहनत कश्मीर की खूबसूरती को बचाने के लिए मिसाल बन चुकी है.

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