सिक्किम में युद्ध नायक और विक्टोरिया क्रॉस पुरस्कार से सम्मानित दिवंगत गंजू लामा को समर्पित एक संग्रहालय बनाया गया है. उनके परिवार के सदस्यों ने दक्षिण सिक्किम में स्थित उनके पैतृक संगमू गांव में इस संग्रहालय को स्थापित किया है. द्वितीय विश्व युद्ध में टैंक-रोधी हथियार से दो जापानी टैंकों को तबाह करने के लिए लामा को 'टैंक किलर' के रूप में जाना जाता है. संग्रहालय में उनकी प्रतिमा भी लगाई गई है.
संग्रहालय का उद्घाटन मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने किया था. इसमें पदक, वर्दी, कलाकृतियों, स्मृति चिन्ह और सैनिक से जुड़ी यादगार वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है. तमांग ने लामा के परिवार के सदस्यों को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी और संग्रहालय और प्रतिमा की स्थापना को ‘ऐतिहासिक घटना' करार दिया.
उन्होंने घोषणा की कि लामा और अन्य बहादुर पुरुषों और महिलाओं की कहानियों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को उनके बारे में पता चले. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार संग्रहालय को पर्यटन मानचित्र में शामिल करेगी और आगंतुकों के लिए गाइड उपलब्ध कराएगी.
लामा 17 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए. उनका असली नाम ग्यामत्सो शांगदारपा था। उन्हें 1944 में प्रतिष्ठित युद्ध पदक से सम्मानित किया गया. स्वतंत्रता के बाद, वह 1968 में अपनी सेवानिवृत्ति तक भारतीय सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स में रहे. सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें भारत के राष्ट्रपति का मानद एडीसी नियुक्त किया गया था.
बाद में उन्होंने अपने गांव में एक स्कूल की स्थापना की और सामाजिक कार्यों में लगे रहे. 30 जून 2000 को उनका अपने गांव में निधन हो गया. उनके बेटे पेमा लेद्या ने कहा कि बहुत से लोग गंजू लामा के बारे में भूल गए होंगे लेकिन संग्रहालय उनकी कहानियों को दुनिया में फैलाने में मदद करेगा.
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