आपने 'टार्जन' फिल्म तो देखा ही होगी, जिसमें एक बच्चा बचपन से लेकर जवानी तक जंगल में जंगली जानवरों के साथ रहता है. इसी तरह भारत में मोगली नाम का एक बच्चा (जिसे कहते हैं भेड़ियों ने पाला था) कैरेक्टर भी बेहद मशहूर था. आज हम आपको एक ऐसी ही रियल लाइफ 'लेडी टार्जन' की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर शायद आप भी हैरत में पड़ जाएंगे. 73 वर्षीय इस महिला की कहानी इतनी फिल्मी है कि, जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. मरीना चैपमैन नाम की इस महिला ने दावा किया है कि, घर से अगवा किए जाने के बाद से ही उन्हें बंदरों ने पाला था, यही वजह है कि वो लंबे समय तक कोलंबिया के जंगलों में अकेली घूमती रही.
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इस तरह पहुंची जंगल
महिला ने बताया कि उसकी मां भी बचपन में जंगल में रही हैं और उन्हें भी बंदरों ने पाला है. अब इस बात में कितनी सच्चाई है, ये तो कोई नहीं जानता. महिला ने बताया कि, वह कोलंबिया के घने जंगलों में अकेली भटकती रही. इस दौरान वो पेड़ों पर ही रहती और सोती थीं और जानवरों की तरह खाना खाती थीं. महिला ने बताया कि, उनकी जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब जंगल में किसी की नजर उन पर पड़ी. मरीना के मुताबिक, साल 1954 में वह अपने घर के बाहर खेल रही थीं, तब दो लोग उन्हें बेहोश कर के उठा ले गए थे. जब होश आया तो उन्होंने खुद को घने जंगल में अकेला पाया. काफी समय तक जब किडनैपर वापस नहीं लौटे, तो वो जीवित रहने के लिए बंदरों के एक झुंड के साथ रहने लगीं. वो जो करते मरीन भी वहीं करतीं.
किताब के जरिए बताई आपबीती
जिंदगी की खींचतान के बीच वो किसी तरह ब्रिटेन पहुंचीं, जहां उन्होंने शादी की और अब वह दो बच्चों की मां हैं. महिला ने अपनी आपबीती एक किताब के जरिए दुनिया के सामने रखी, जिसे पढ़कर लोग हैरान रह गए. इस किताब का नाम 'द गर्ल विद नो नेम' है. इस किताब को उन्होंने अपनी बेटी वेनेसा की मदद से लिखी है. मां के नक्शेकदम पर चलते हुए अब बेटी भी कोलंबिया के जंगल से घिरे एक गांव में रहती है.
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