ब्रिटेन में एक शख्स को बगैर किसी गंभीर बीमारी के अपनी जिंदगी के 50 से ज्यादा साल अस्पताल में बिताने पड़े. उसकी वजह जानकर दुनिया भर के लोग हैरान हैं. दरअसल, गंभीर रूप से बीमार न होने के बावजूद, यूनाइटेड किंगडम के चार्ल्स एस्लर को 50 से अधिक वर्षों तक एक अस्पताल में बंद दीवारों के पीछे रहना पड़ा. दस साल की उम्र में चार्ल्स को उस समय सीखने की क्षमता में कमी और मिर्गी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
अस्पताल की कैद में रहना नापसंद, 62 साल की उम्र में निकले बाहर
चार्ल्स एस्लर ने स्कॉटलैंड की मीडिया को बताया कि उन्होंने अस्पतालों में "बहुत सारे जन्मदिन बिताए हैं" और वहां कैद रहना बहुत नापसंद था. उनकी बहन मार्गो ने खुलासा किया कि उन्हें एक खुली जगह पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. पिछले साल, 62 साल की उम्र में, चार्ल्स एस्लर को पहली बार अपने फ्लैट की चाबियां मिलीं. रिचमंड फ़ेलोशिप स्कॉटलैंड के डेविड फ्लेमिंग ने कहा, " चार्ल्स के परिवार ने उनके लिए सही जगह ढूंढने के लिए वर्षों तक संघर्ष किया. दुर्भाग्य से, कुछ लोग सिस्टम में फंस जाते हैं."
दशकों पहले बनी मरीजों को घर वापस भेजने की ऑफिशियल पॉलिसी
रिपोर्ट के मुताबिक, सीखने में अक्षमता वाले सैकड़ों लोग अभी भी अस्पतालों तक ही सीमित हैं. वे सभी अपने परिवार से सैकड़ों मील दूर रहते हैं. यह मामला तब है जबकि दशकों से ऑफिशियल पॉलिसी में कहा जा रहा है कि हर ऐसे मरीज को लंबे समय तक देखभाल सुविधाओं के बजाय अपने घरों में रखा जाना चाहिए.
ग्लासगो में पले-बढ़े शख्स चार्ल्स एस्लर ने कहा, "मैं अब बाहर जा सकता हूं. कई मनपसंद जगहों पर जा सकता हूं. सड़क के किनारे पब में जा सकता हूं और वहां लंच कर सकता हूं. मुझे मछली और चिप्स खाना पसंद हैं. यह अच्छा लगता है. पहले मुझे कभी कोई आजादी नहीं मिलती थी." उन्होंने कहा कि उन्हें जेम्स बॉन्ड की फिल्में देखना पसंद है और अब वह खाना बनाना और घर की साफ-सफाई करना सीख रहे हैं.
चार्ल्स की बहन मार्गो ने लगातार कई साल तक जारी रखा संघर्ष
चार्ल्स की बहन मार्गो ने दावा किया कि उसने अपने भाई को अपना घर दिलाने के लिए वर्षों तक संघर्ष किया है. उन्होंने कहा, "यह मत सोचो कि यह एक परियों की कहानी है. यह कोई रातोंरात पूरी होने वाली प्रक्रिया भी नहीं है. इसमें बहुत सारे लोग शामिल हैं. हमें सही जगह ढूंढने में लगभग 14 साल लग गए. हर किसी के पास कोई ऐसा शख्स होना चाहिए जो यह साबित कर सके कि वे महज एक नंबर भर ही नहीं हैं."
पीड़ितों की वापसी के लिए स्कॉटिश सरकार ने दिया 20 मिलियन पाउंड
स्कॉटिश सरकार ने कहा कि उसने सीखने की क्षमता में कमी वाले मरीजों को उनके अपने घरों में भेजने करने के लिए कुल 20 मिलियन पाउंड का फंड आवंटित किया था. साथ ही अस्पताल में भर्ती या अपने घरों से सैकड़ों मील दूर रहने वाले पीड़ित लोगों का एक नेशनल रजिस्टर तैयार करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग भी किया था.
सोशल वेलफेयर मिनिस्टर मैरी टॉड ने बताया, "स्थिति को सुधारने का प्रयास जारी है. हम इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से कमिटेड हैं, लेकिन जैसा कि इस मामले में पता चलता है कि इसे हल करना मुश्किल है. इसकी कानूनी जिम्मेदारी स्थानीय अधिकारियों की है और मैं उनके साथ मिलकर काम कर रही हूं."
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