सोशल मीडिया पर अभी कुछ दिनों पहले ही भोपाल का 90 डिग्री का ओवरब्रिज काफी वायरल हुआ था. जिसका सोशल मीडिया पर काफी मज़ाक बनाया गया. उसके बाद अब इंटरनेट पर लखनऊ के एक ओवरब्रिज का फोटो और वीडियो वायरल हो रहा है. इसका उद्देश्य कई लोगों के लिए यात्रा को आसान बनाना था, लेकिन लखनऊ के पारा में कृष्णानगर-केसरी खेड़ा ओवरब्रिज का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया. हाल ही में सोशल मीडिया पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर के एक वीडियो ने खूब सुर्खियां बटोरीं. जिस चीज ने सबका ध्यान खींचा, वह यह थी कि फ्लाईओवर सीधे एक इमारत से टकराता हुआ दिखाई दे रहा था. इमारत की दीवार से लोहे की सलाखें इस तरह से जुड़ी हुई लग रही थीं, मानो पुल को इमारत के अंदर ही बनाया गया हो.
यह विचित्र दृश्य ऑनलाइन वायरल हो गया और कई लोगों ने मजाक में इसे "दुनिया का 8वां अजूबा" बताया. स्टैंड-अप कॉमेडियन तरुण लखनवी ने फ्लाईओवर का वीडियो शेयर किया, जिसे दो मिलियन से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. लेकिन, इस वायरल पल के पीछे एक गंभीर मुद्दा था जिसने इस परियोजना को महीनों तक रोके रखा था. यह एक ज़मीन विवाद था जिसके कारण पुल का एक हिस्सा हवा में लटक गया था.
महाराजपुरम, पंडित खेड़ा, गंगाखेड़ा, केसरीखेड़ा और भवानीपुरम जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों को सालों से रोजाना ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णानगर और केसरीखेड़ा के बीच रेलवे क्रॉसिंग दिन में 60 से ज़्यादा बार बंद होती है ताकि ट्रेनें गुजर सकें. हर बार बंद होने पर यात्रियों को 15-20 मिनट तक इंतज़ार करना पड़ता है, जिससे पीक ऑवर्स के दौरान बड़ी देरी होती है.
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निवासी इस नियमित परेशानी को कम करने के लिए ओवरब्रिज की मांग कर रहे थे. रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने राज्य सरकार और रेलवे से इस परियोजना को मंज़ूरी दिलाने में मदद की. 2 लेन, लगभग 1 किलोमीटर लंबा रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी), जिसकी अनुमानित लागत 74 करोड़ रुपये है, कृष्णानगर के ट्रैफिक पार्क के पास इंद्रलोक कॉलोनी को केसरीखेड़ा से जोड़ने वाला था. इसकी आधारशिला 17 जुलाई, 2023 को रखी गई थी और फरवरी 2024 में काम शुरू हुआ था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 75 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है.
रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य समस्या तब उत्पन्न हुई जब निर्माण कार्य पारा में कृष्णानगर-केसरी खेड़ा क्रॉसिंग तक पहुंच गया. मकान और दुकानें सीधे फ्लाईओवर के रास्ते में थीं और उनके मालिकों को अभी तक मुआवज़ा नहीं मिला था. चूंकि निर्माण कार्य उन क्षेत्रों में जारी रहा जो प्रभावित नहीं थे, इसलिए यह बाधा लगभग तीन महीने तक अछूती रही. यही कारण है कि फ्लाईओवर के एक रिहायशी इमारत से टकराने के वीडियो और तस्वीरें ऑनलाइन सामने आईं. रिपोर्ट्स के अनुसार, इमारत को पूरी तरह से गिराने और मलबे को हटाने में करीब सात से आठ दिन लगेंगे. जब इमारत पूरी तरह से हटा दी जाएगी, तो ओवरब्रिज पर बाकी निर्माण कार्य जारी रहेगा.
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