यूं तो आपने कई ख़बरें ऐसी पढ़ी होंगी, जिनका रिश्ता हमारे पूर्वजों से रहा है. इंसान भले ही आज चांद और मंगल ग्रह पर जा चुका है, मगर कई ऐसी सच्चाई है, जो हमारे लिए रहस्य है. उस समय हमारा मस्तिष्क उतना विकसित नहीं था, और हमारे पास तकनीक की कमी थी, जिसके कारण हमें अपने अस्तित्व के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर रहस्य बनी हुई है. इस तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह एक महिला की तस्वीर है, जो 31 हज़ार साल पुरानी है. अब आप सोच रहे होंगे, जब 31 हज़ार साल पहले हमारे पास तकनीक नहीं थी तो ये तस्वीर कहां से आई?
यह बात साल 1881 की है. पुरातत्वविदों ने चेक गणराज्य के एक गुफा में दफन एक मानव की खोपड़ी का पता लगाया था. उस समय रिसर्चर्स ने खोपड़ी को लगभग 31,000 साल पहले का बताया और कहा कि यह एक पुरुष था. हालांकि इस मसले पर कई शोध हुए. नए शोध के अनुसार, शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि ये पुरुष के नहीं बल्कि 17 साल की एक लड़की की खोपड़ी है. यह महिला अपर पुरापाषाण काल (लगभग 43,000 से 26,000 वर्ष) के बीच धरती पर रहती थी. टीम ने ‘द फॉरेंसिक फेशियल अप्रोच टू द स्कल म्लादेस 1' नाम की एक नई ऑनलाइन किताब के रूप में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं. इसमें बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने ‘यूरोप में पाए जाने वाले सबसे पुराने होमो सेपियन्स में से एक' के लिंग को कैसे पुनर्वर्गीकृत किया.
इस खोपड़ी पर नए डाटा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आधार कई शोध हुए. आधुनिक मशीनों के जरिए इस खोपड़ी की स्कैनिंग हुई और इस तस्वीर का निर्माण हुआ. पूरी जानकारी इस लिंक से ली गई है.
तस्वीर की पहली प्रक्रिया
तस्वीर की दूसरी प्रक्रिया
तस्वीर की तीसरी प्रक्रिया
तस्वीर की चौथी प्रक्रिया
तस्वीर की पांचवीं प्रक्रिया
तस्वीर की छठी प्रक्रिया
इस तस्वीर को अंतिम रूप में लाने के लिए टीम ने आधुनिक मनुष्यों के लगभग 200 सीटी स्कैन और यूरोपीय, अफ्रीकी और एशियाई समेत विभिन्न जनसंख्या समूहों से संबंधित सांख्यिकीय डेटा का उपयोग किया. 3डी मॉडल से लेकर कई प्रक्रियाओं के तहत इस खोपड़ी पर प्रयोग किए गए. अंतिम में जो चेहरा उभर कर आया है, वो यही है. हालांकि, यह एक बस आधुनिक तकनीक को प्रयोग में लाकर किया गया है.