भारतीय हॉकी की "द वॉल" श्रीजेश के परिवार ने कैसे मनाया जीत का जश्न, देखें VIDEO

बोर्ड के इम्तिहान में ग्रेस अंक पाने के लिये खेलों में उतरने से लेकर ‘भारतीय हॉकी की दीवार’ बनने तक पराट्टू रवींद्रन श्रीजेश का सफर उपलब्धियों से भरपूर रहा.

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नई दिल्ली:

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कमाल कर दिया है और टोक्यो के बाद पेरिस ओलंपिक में भी अपना परचम लहराते हुए कांस्य पदक जीत लिया है. भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी को मात देकर कांस्य पदक जीता था. इस बार स्पेन को 2-1 से हराकर कांस्य पदक जीता. यह ओलंपिक के इतिहास में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का 13वां पदक था. इस जीत के नायक रहे गोलकीप पीआर. श्रीजेश की पत्नी अनीशया ने भावुक होकर कहा, मैं इस जीत को अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं. करियर के आखिरी मैच में देश के लिए मेडल लाना गर्व की बात है. मैं निशब्द हूं. हम सभी उनपर गर्व करते हैं. हमारी फैमिली का सपना पूरा हुआ.

जीत के बाद परिजनों ने किया जमकर सेलिब्रेशन

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बोर्ड के इम्तिहान में ग्रेस अंक पाने के लिये खेलों में उतरने से लेकर ‘भारतीय हॉकी की दीवार' बनने तक पराट्टू रवींद्रन श्रीजेश का सफर उपलब्धियों से भरपूर रहा और हर बड़ी चुनौती में संकटमोचक बनकर उभरे इस नायाब खिलाड़ी को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद अपने कंधे पर बिठाकर भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह की टीम ने आज विदाई दी. 36 वर्ष के श्रीजेश ने ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को मिले 13वें और लगातार दूसरे पदक के साथ अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया.

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पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए कांस्य पदक मैच श्रीजेश का भारत के लिए अंतिम अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच था, श्रीजेश ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, "आज, मैं भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेल रहा हूं. हर बचाव, हर गोता, भीड़ की हर दहाड़ हमेशा मेरी आत्मा में गूंजती रहेगी. धन्यवाद, भारत, मुझ पर विश्वास करने के लिए, मेरे साथ खड़े होने के लिए. यह अंत नहीं है, लेकिन संजोयी यादों की शुरुआत है. हमेशा के लिए सपनों का संरक्षक,जय हिन्द.''

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