International Tiger Day: बाघ (Tigers) जानवरों के साम्राज्य के सबसे राजसी जीवों में से एक हैं. सफेद बाघ (white tiger), रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal tiger) से लेकर साइबेरियन बाघ (Siberian tiger) तक, इन जंगली बिल्लियों की अलग-अलग प्रजातियां हैं, जिनमें से प्रत्येक गर्व के साथ अपने निवास स्थान पर शासन करते हैं. लेकिन, जलवायु परिवर्तन (climate change), अवैध वन्यजीव व्यापार और निवास स्थान के नुकसान जैसे कारकों के साथ, बाघों की आबादी तेजी से घट रही है. इसलिए, इस लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के रूप में मनाया जाता है.
अपनी शिकारी प्रवृत्ति के साथ, बाघ विभिन्न प्राकृतिक आवासों में जीवित रह सकते हैं, चाहे वह घास के मैदान हों, उष्णकटिबंधीय वर्षावन हों, बर्फीले जंगल हों, या यहाँ तक कि मैंग्रोव दलदल भी हों. लेकिन, 20वीं सदी की शुरुआत के बाद से इन शानदार जीवों की संख्या में 95% से अधिक की गिरावट आई है. वर्तमान में, दुनिया भर में जंगल में रहने वाले बाघों की कुल संख्या लगभग 3,900 होने का अनुमान है.
इस आबादी में से अकेले भारत में लगभग 3,000 जंगली बाघ हैं. वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ (WWF) के अनुसार, यह इसे जंगली बाघों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनाता है.
बाघ जहां भी जंगल में घूमते हैं, वे उस क्षेत्र के शीर्ष शिकारियों के रूप में उभर आते हैं. वे अन्य जानवरों का शिकार करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं. उनकी अनुपस्थिति में, शिकार की आबादी विलुप्त हो सकती है और बदले में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए, बाघ प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
जलवायु परिवर्तन उन कारकों में से एक है जिसने दुनिया भर में बाघों की आबादी के लिए खतरा पैदा कर दिया है. ग्रह का गर्म होना और समुद्र का बढ़ता स्तर बाघों के आवास को प्रभावित करता है और उनकी शिकार प्रजातियों की संख्या को भी प्रभावित कर सकता है. इसके अलावा, उनका सिकुड़ता आवास भी इन बाघों को मानव समुदायों के पास भटकने के लिए मजबूर कर सकता है जिससे पशु-मानव संघर्ष हो सकता है.