भारतीय रेलवे ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में अहम भूमिका निभा रही है. हर साल लाखों-करोड़ों की संख्या में यात्री ट्रेनों सफर करते हैं. वहीं आपने ट्रेन के कोच में कई तरह की एक्टिविटी देखी होगी, लेकिन क्या आपने कभी ट्रेन के अंदर भगवान श्रीकृष्ण का दरबार देखा है? अगर आपका जवाब न है तो हाल ही में इंटरनेट पर वायरल इस वीडियो को ही देख लीजिए, जिसमें एक ट्रेन के कोच में भगवान श्री कृष्ण का दरबार लगा हुआ है.
रंग-बिरंगे फूलों से सजा ट्रेन का पूरा कोच
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे ट्रेन का पूरा कोच रंग-बिरंगे फूलों से सजा हुआ है. सजावट इतनी खूबसूरत तरीके से की गई है कि आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे. वहीं ट्रेन की स्लीपर सीट के बीच में श्री कृष्ण भगवान का दरबार लगाया गया है. दरबार देखने से आपको लगेगा, जैसे आप बहुत बड़े मंदिर में आ गए हैं. हालांकि, वीडियो देखकर यकीन कर पाना मुश्किल है कि, इतना खूबसूरत दरबार ट्रेन के अंदर भी बनाया जा सकता है.
जगमगाती लाइटों से सजा ट्रेन का कोच
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि हर एक चीज को सजाने कि लिए काफी मेहनत की गई है और अच्छी क्वालिटी के सजावट का सामान का इस्तेमाल किया गया है. यही नहीं ट्रेन के कोच को और अधिक खूबसूरत दिखाने के लिए सुंदर और जगमगाती लाइटों का भी इस्तेमाल किया गया है. बता दें कि, ट्रेन का कोच किसी भव्य मंदिर से कम नहीं लग रहा है. पूरे कोच को दुल्हन की तरह सजाया गया है.
यहां देखें वीडियो
बदला कोच का रंग रूप
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए इस वीडियो को अब तक 82 हजार से अधिक लोगों ने लाइक किया है और तरह-तरह की प्रतिक्रिया दी हैं. लोगों का कहना है कि आज तक ट्रेन के किसी कोच में इतनी सुंदर सजावट नहीं देखी है. वहीं एक अन्य का कहना है कि, ट्रेन के कोच में लगा दरबार किसी भव्य मंदिर की याद दिलाता है.
भारतीय रेलवे के नियम
बता दें कि, ट्रेन के कोच में यूं सजावट करना और दरबार लगाने की अनुमति हर किसी को नहीं दी जाती है. भारतीय रेलवे ने इसके लिए नियम बनाएं हैं. अगर आप ट्रेन के कोच में ऐसा कुछ करना चाहते हैं, तो पहले रेलवे के अधिकारियों को इस बारे में जानकारी देनी होगी. साथ ही पूरे कोच की बुकिंग करनी होगी. ये बुकिंग आपको ऑन द स्पॉट नहीं, बल्कि एडवांस में करनी होगी. हालांकि, जिन-जिन लोगों ने इस वीडियो को देखा वह श्री कृष्ण का दरबार देखकर काफी प्रसन्न हुए.
ये भी पढ़ें :- समुद्र के बीच है ये नुकीला रहस्यमयी टापू