आईएफएस अधिकारी परवीन कासवान (IFS officer Parveen Kaswan) और उनकी टीम ने 13 फरवरी को एक जंगल की सड़क पर सफाई अभियान (Cleanliness drive) शुरू किया और दो ट्रक प्लास्टिक इकट्ठा किया. इस दौरान उन्होंने 7 किलोमीटर की दूरी तय की. कासवान ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, "जंगल की सड़क पर फेंका गया हर दूसरा प्लास्टिक का टुकड़ा या तो चिप्स या कुरकुरे का पैकेट है."
जंगल का फर्श, जो कार्बनिक पदार्थों से ढका होना चाहिए, इसके बजाय मनुष्यों के अवशेषों से अटा पड़ा है. कासवान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जानवर, प्रवृत्ति और भूख से प्रेरित होकर, अक्सर इन प्लास्टिक के टुकड़ों को भोजन समझ लेते हैं, जिसके दुखद परिणाम होते हैं.
कासवान ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, "इन प्लास्टिक को कई बार जंगली जानवर खा जाते हैं और वे मर भी जाते हैं. हमने जंगली जानवरों के गोबर को प्लास्टिक से भरा हुआ देखा है. माइक्रोप्लास्टिक के मुद्दों को छोड़ दें." कासवान ने यह भी बताया कि प्लास्टिक की बोतलों की मौजूदगी आगंतुकों द्वारा छोड़े गए 'लापरवाह' पैरों के निशान का एक और संकेत है. "यहां तक कि प्लास्टिक की बोतलें भी. लोग आते हैं और अपने पैरों के निशान पीछे छोड़ जाते हैं. जो पूरी तरह से गलत है."
जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी), छात्रों और एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन से जुड़ी यह पहल, वन क्षेत्रों को साफ रखने के लिए बढ़ती जागरूकता और कार्रवाई के आह्वान को दर्शाती है. जैसे ही कासवान की पोस्ट को हजारों लाइक मिले, सोशल मीडिया यूजर्स ने कमेंट सेक्शन में अपने विचार शेयर किए.
एक यूजर ने लिखा, "प्लास्टिक कवर प्रतिबंध (सीमित सफलता) पर्याप्त नहीं है. सभी प्लास्टिक पैकेजिंग पर प्रतिबंध होना चाहिए." एक अन्य यूजर ने कमेंट किया, "संभवतः, ये कॉलेज और स्कूल जाने वाले छात्र हैं. उनकी शिक्षा में अधिक जागरूकता लाने की जरूरत है, ताकि ऐसी चीजें दोबारा न हों."
दूसरे ने कहा, "इतनी शक्तिशाली पहल! हमारे कीमती जंगलों को साफ करने के लिए लोगों को एक साथ आते देखना दिल को छू लेने वाला है. आइए अपने पर्यावरण के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना जारी रखें." कासवान और उनकी टीम का संदेश स्पष्ट है: जंगल डंपिंग ग्राउंड नहीं हैं. वे हमारी समेत अनगिनत प्रजातियों के लिए जीवन का उद्गम स्थल हैं.