IFS ने बताया, फ्रिज के बिना गांव में कैसे लंबे समय तक रखा जाता है दूध ?

भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी, परवीन कस्वां ने शेयर किया कि कैसे गाँव में उनके घर में दूध को रखा जाता है ताकि वह खराब न हो.

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आज की दुनिया में, कोई भी रेफ्रिजरेटर के बिना किसी भी प्रकार खाने की चीजों को रखने की सोच भी नहीं कर सकता, खासकर जब दूध जैसे उत्पादों की बात आती है. हालांकि, भारत में कई ग्रामीण परिवार अभी भी अपनी उपज के भंडारण और प्रबंधन के लिए गैर-विद्युत उपकरणों का उपयोग ही करते हैं.

मंगलवार को, भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी, परवीन कस्वां ने शेयर किया कि कैसे गाँव में उनके घर में दूध को रखा जाता है ताकि वह खराब न हो.

कस्वां ने एक पारंपरिक चूल्हे की एक तस्वीर शेयर की और बताया कि हर सुबह दूध का एक बड़ा बर्तन, जिसमें आमतौर पर 20 से 25 किलोग्राम होता है, पूरे दिन धीमी आंच पर उबाला जाता है.

दूध को धीमी गति से गर्म करने से दूध पाश्चुरीकृत हो जाता है. यह पाश्चराइजेशन दूध से सभी रोगजनकों को मारता है और इसके शेल्फ जीवन को बढ़ाता है.

एक अन्य पोस्ट में, कस्वां ने एक तस्वीर शेयर की, जिसमें एक छोटे से पिंजरे के आवरण के नीचे रखे दूध के बड़े बर्तन को दिखाया गया है, जो बांस से बना प्रतीत होता है. इस तस्वीर को शेयर करते हुए कस्वां ने कहा, “घर की तकनीक सीधी साधी है. रात को बिजली रहे ना रहे, दूध सही रहना चाहिए. तो बड़े बर्तन में इस पिंजरे में दूध खुले में रख दिया जाता है. ये तकनीक भी विलुप्त होती जा रही है. मां ने अभी भी सम्भाल के रखी है.”.

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एक ट्विटर यूजर ने इस पर कमेंट करते हुए लिखा, 'अरे हां... मेरे घर में इस्तेमाल हो रहा है. ऐसी कुछ चीजें विलुप्त हो रही हैं. पता नहीं आने वाले समय में बच्चे इन बातों को जानेंगे या नहीं. अब मेरी कोशिश है कि मेरे बच्चों को उनके नानी घर पर छुट्टी का एक अनिवार्य हिस्सा बिताना पड़े. और निश्चित रूप से वे 'खेत' जाना पसंद करते हैं."

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