100 साल पहले माउंट एवरेस्ट पर गायब हो गया था पर्वतारोही, अब बूट के साथ मिला कटे पैर का हिस्सा, मचा हड़कंप

माउंट एवरेस्ट से जूते के साथ एक कटा पैर मिला है, जो 100 साल पहले यहां पहुंचे एक पर्वतारोही का बताया जा रहा है. यहां पढ़े पूरी कहानी.

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माउंट एवरेस्ट पर मिला सौ साल पुराना पैर

Mount Everest Climber Missing: दुनिया की सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का सिलसिला सालों से चला आ रहा है. आज भी हर साल हजारों लोग माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने जाते हैं. इसमें कुछ ही सफल हो पाते हैं. अब माउंट एवरेस्ट को लेकर बहुत चौंकाने वाला मामला सामने आया है. नेशनल जियोग्राफी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां एक पर्वतारोही का कटा पैर मिला है, जो कि 100 साल पहले का बताया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह पर्वतारोही आज से 100 साल पहले माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने आया था. वहीं, जलवायु परिवर्तन की वजह से पिघली हिमालय की बर्फ के हटने से इस पर्वतारोही का जूते में डला पैर मिला है.

कौन है ये पर्वतारोही ( Andrew Irvine was Climber)
ब्रिटिश पर्वतारोही एंड्रयू इर्विन यहां साल 1924 में अपने पार्टनर जियॉर्ज मेल्लोरी के साथ यहां पहुंचे थे. दोनों ने माउंट एवरेस्ट की 8,848 मीटर ऊंची चोटी पर सबसे पहले पहुंचने का प्रयास किया था. वहीं, मेल्लोरी का शव साल 1999 में यहां से बरामद हुआ था, लेकिन नेशनल जियोग्राफी की टीम को एंड्रयू का शव नहीं मिला था. वहीं, अब एंड्रयू के शरीर का एक भाग टीम को चोटी के सेंट्रल रोंगबुक ग्लेशियर से मिला है. टीम को पैर समेत जो जूता मिला है, जिसमें जुराब भी है और इस जुराब पर एंड्रयू का नाम लिखा हुआ है. टीम के मुताबिक, दोनों ही पर्वतारोही अपनी मौत से पहले चोटी के शिखर पर पहुंच चुके थे.

आखिरी कब दिखे थे एंड्रयू इर्विन ? ( When Andrew Irvine last seen)
अगर यह साबित हो जाता है, तो एंड्रयू और मेल्लोरी माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले पहुंचने वाले पहले पर्वतारोही हो सकते हैं. वैसे, यह रिकॉर्ड एडमंड हिलेरी और टेंजिंग नॉर्ग के नाम हैं, जो साल 1953 में यह कारनामा कर चुके हैं. इधर, एंड्रयू के परिवार से डीएनए मांगा गया है, ताकि उनके शव की असल पहचान हो सके. बता दें, एंड्रयू इर्विन महज 22 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पहुंचे थे, उन्हें आखिरी बार मेल्लोरी के साथ 8 जून 1924 को देखा गया था. कहा जा रहा है कि इर्विन अपने साथ एक छोटा कैमरा भी लेकर गए थे. अगर वो मिल जाता है तो इन पर्वतारोही की कहानी को दिखाया जा सकता है. गौरतलब है कि साल 1920 से अब तक माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान 300 से ज्यादा पर्वतारोही की जान जा चुकी है.

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