इंसान की नकल करने में माहिर है पहाड़ी मैना, जानें इस पक्षी से जुड़ी और दिलचस्प बातें

पहाड़ी मैना (Hill Myna) भारत के अलावा नेपाल, भूटान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि देशो में भी पाई जाती है. पहाड़ी मैना अधिकतर पहाड़ी इलाको में और घने जंगलो में रहना पसंद करती हैं.

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दुनियाभर में मैना की लगभग 31 प्रजातिया पाई जाती है.
नई दिल्ली:

अनेकों तरह की आवाज निकालने और नक़ल करने में माहिर पहाड़ी मैना (Hill Myna) जिसे हम हिल मैना के नाम से भी जानते है यह पक्षी छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय पक्षी है जिसका वैज्ञानिक नाम Grakcula Religiosa है. अपने चमकीले काले रंग, नारंगी चोंच और पैरो से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. पहाड़ी मैना एक सामाजिक परिंदा है जो छोटे-छोटे झुंड और जोड़े में रहना पसंद करते हैं और सामान्य रूप से झुंडो में इनकी संख्या 2 से लेकर आठ तक देखी गई है.

यह पक्षी लम्बे समय तक जोड़ा बनाये रखते हैं, यानि नर और मादा पक्षी अपने जीवनकाल में एक ही साथी पक्षी के साथ लम्बे समय तक जोड़े बनाये रखते है. सामान्य रूप से पहाड़ी मैना हमें जोड़ो में ही दिखाई देते हैं. ऐसा कहा जाता है की पहाड़ी मैना अपने पूरे जीवन काल में सिर्फ एक बार ही जोड़ा बनाते हैं. पक्षियों के इस तरह के नेचर को मोनोगेमस कहा जाता है. पहाड़ी मैना भी सामान्य मैना की तरह बहुत ही झगड़ालू प्रवृत्ति की होती है. जो अक्सर लड़ाई करती रहती है, लड़ाई के लिए यह अपने पैरो और चोंच को इस्तेमाल करती है.

यह परिंदा भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है पहाड़ी मैना भारत के अलावा नेपाल, भूटान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि देशो में भी पाया जाता है. पहाड़ी मैना अधिकतर पहाड़ी इलाको में और घने जंगलो में रहना पसंद करते हैं. साल के सघन वन और ऊँचे पेड़ो पर यह रहना पसंद करते है और जमीन पर यह बहुत ही कम दिखाई देते हैं. कठफोड़वा के द्वारा पेड़ो के तनो में बनाये गए कोटर को अपने आवास के लिए भी उपयोग कर लेते हैं. यही परिंदे पेड़ के तने में अपने घोंसले का निर्माण अपने साथी पक्षी के साथ मिलकर करते हैं.  

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प्रजनन काल: पहाड़ी मैना का प्रजनन काल मार्च और अक्टूबर माह के बीच होता है मादा पक्षी एक समय में लगभग 3 अंडे तक देते हैं जो नीले रंग के होते हैं. यह पक्षी 14 से 18 दिनों तक अन्डो को सेते हैं. बच्चो का जब जन्म होता है तो  उनक पालन पोषण नर और मादा दोनों ही पक्षी मिलकर करते हैं. 

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जब यह परिंदे गुस्से में होते हैं तो यह कर्कश आवाज पैदा करते हैं और जब शांत होते हैं तो मधुर आवाज निकालते हैं. यह नकलची पक्षी है जो तरह तरह की आवाजे आसानी से निकाल सकते हैं हम सभी ने तोते को नक़ल करते और आवाज निकालते हुए देखा है. लेकिन पहाड़ी मैना और भी अच्छे दंग से आवाजे निकल सकती है. पहाड़ी मैना की खास बात यह है कि यह एक इन्सान की तरह बोल सकती है और इंसानों से भाषा सरलता से सीख सकती है.

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मैना विभिन्न तरह की ध्वनिया जैसे सीटी बजाना,चीखना आदि शामिल है पिंजरे में कैद मैना इन्सान की आवाज की भी हु ब हु नक़ल आसानी से कर सकने में सक्षम होती है. मैना एक सर्वाहरी पक्षी है जो मुख्य रूप से आनाज के दाने, कीड़े मकोड़े और फूलो का रस अधिकतर पीते है यह पक्षी फूलो के परागण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, मैना की दुनिया भर में लगभग 31 प्रजातिया पाई जाती है और और इसका जीवनकाल 8 वर्ष के आसपास होता है.

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आज इस पक्षी को संरक्षण की बहुत जरुरत है छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इसके संरक्षण के लिए प्रयास प्रयास किये गए है. लेकिन फिर भी  इसकी संख्या अधिक नहीं बढ़ पाई है वनों का कटना और विकास के नाम पर इनके आशियाने के लिए  उचित जगह का न मिल पाना एक प्रमुख कारण है. पहाड़ी मैना के अवैध व्‍यापार एवं शिकार भी इसकी घटती संख्या का एक प्रमुख कारण है.

आलेख: आनंद पटेल. 15 वर्षो से पर्यावरण एवं जैवविविधता संरक्षण में संलग्न. शिक्षा: स्नातकोतर (पर्यावरण विज्ञान, ग्रामीण प्रोधौगिकी एवं प्रबंधन). वर्तमान में कार्यरत: अंडर दी मैंगो ट्री सोसाइटी, भोपाल,मध्यप्रदेश पूर्व में कार्यरत विश्व प्रकृति निधि भारत एवं एप्को,मध्यप्रदेश)

यह श्रंखला 'नेचर कन्ज़र्वेशन फाउंडेशन' द्वारा चालित 'नेचर कम्युनिकेशन्स' कार्यक्रम की एक पहल है. पक्षियों और प्रकृति के बारे में अधिक जानने के लिए, हमारे मुफ़्त न्यूज़लेटर द फ़्लोक में शामिल हों.

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