36 साल की उम्र में स्लीपिंग प्रिंस का निधन, 20 साल तक रही ज़िंदगी और मौत की जंग

Sleeping Prince Death: सऊदी अरब के 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से दुनिया भर में मशहूर प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल ने आखिरकार इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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20 साल कोमा में रहने वाले 'स्लीपिंग प्रिंस' का निधन, आखिर 36 की उम्र में जिंदगी से हार गए

Sudi Rajkumar Coma Death: वो सिर्फ एक शख्स नहीं थे, एक जज़्बा थे. एक उम्मीद, एक इंतज़ार, सब्र और मोहब्बत की एक मिसाल बन चुके थे. सऊदी अरब ही नहीं, पूरी दुनिया उनकी कहानी को इंसानी जज़्बे का प्रतीक मानती रही. सऊदी अरब के 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से दुनिया भर में मशहूर प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल ने आखिरकार इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 36 साल की उम्र में उनका निधन हो गया, जिनमें से 20 साल उन्होंने कोमा में बिताए.

स्लीपिंग प्रिंस निधन (Prince Sleeping for 20 years)

यह कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी लगती है, लेकिन यह हकीकत है. बेहद मार्मिक और प्रेरणादायक. साल 2005 में जब अल-वलीद महज 15 साल के थे, तब एक भयानक सड़क हादसे में उन्हें सिर में गंभीर चोट लगी. वह सैन्य कॉलेज के छात्र थे. चोट इतनी गंभीर थी कि वो कोमा में चले गए…और वहीं ठहर गए, दो दशक तक. उनका इलाज रियाद के किंग अब्दुलअज़ीज़ मेडिकल सिटी में हुआ. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, डॉक्टरों ने हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन होश कभी वापस नहीं आया. 

अल वलीद बिन खालिद मौत (20 years in coma news)

परिवार ने कभी हार नहीं मानी. हाल ही में, उन्होंने अल-वलीद का 36वां जन्मदिन भी मनाया था...बिना होश के, लेकिन पूरी श्रद्धा और उम्मीद के साथ. उनके पिता प्रिंस खालिद बिन तलाल ने बेटे की मौत की खबर एक कुरान की आयत के साथ साझा की...हे शांत आत्मा, अपने प्रभु के पास लौट आओ, जो तुझसे प्रसन्न है…इस एक लाइन में वो सारा दर्द, प्रेम और स्वीकृति छुपी थी, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है.

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स्लीपिंग प्रिंस...अल-वलीद ने कहा अलविदा (Prince Al-Waleed bin Khaled bin Talal dies)

रविवार को उनकी जनाजे की नमाज़ अदा की जाएगी और तीन दिन तक शोक सभा का आयोजन (Google Trends) किया जाएगा. दुनिया भर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. 'स्लीपिंग प्रिंस' अब भले ही इस दुनिया में न हों, लेकिन उनकी कहानी सब्र, प्रेम और इंसानी उम्मीद की मिसाल बनकर हमेशा जिंदा रहेगी. ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जिनकी मौन उपस्थिति भी प्रेरणा बन जाती है. अल-वलीद उन्हीं में से एक थे.

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