VIDEO: गंगा में तैरता मिला रहस्यमयी पत्थर, भक्तों ने माना श्रीराम का चमत्कार

Floating stone in ganga: सनातन संस्कृति में हर कण में ईश्वर का वास माना गया है और गाजीपुर के ददरी घाट पर गंगा नदी में तैरता एक विशाल पत्थर इस विश्वास को जैसे जीवंत करता नजर आ रहा है.

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Ganga me tarta pathar: सनातन परंपरा में कण-कण में ईश्वर का वास कहलाने वाली कहावत तब चरितार्थ होती हुई नजर आई...जब उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में गंगा किनारे ददरी घाट पर एक बड़ा सा पत्थर तैरता हुआ नजर आया. इस पत्थर की खासियत ये है कि ये तकरीबन ढाई से तीन क्विंटल होने के बावजूद पानी में तैरता हुआ दिखाई दे रहा है. हिंदू धर्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं में ऐसे तैरते पत्थरों का जिक्र रामायण काल में सुनने को मिलता रहा है. गौरतलब है​ कि त्रेतायुग में भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए रामसेतु बनाने में ऐसे पत्थरों का प्रयोग किया था. 

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गंगा में तैरता पत्थर (tarta hua pathar)

गाजीपुर जिले में तैरता हुआ पत्थर मिलने के बाद यहां पर लोगों में काफी उत्साह है और वे इसे रामायणकालीन मान कर प्र​तिदिन पूजा भी कर रहे हैं. स्थानीय मंदिर के पुजारी संत रामाधार के अनुसार जब कुछ भक्तों ने उन्हें सूचित किया कि एक विशाल पत्थर गंगा में तैर रहा है, तो उसे बीच धारा से किनारे लाया गया.

मंदिर (ramsetu ka chamatkari pathar) के महंत रामाश्रय के अनुसार, यह पत्थर त्रेतायुग का हो सकता है. बहरहाल इन सबके बीच आस्था से जुड़ा ये पत्थर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. 

समुद्र में क्यों तैरता था रामसेतु का पत्थर (ram setu stone)

पौराणिक कथा के अनुसार, रामायण काल में नल और नील नाम के बंदर काफी शरारती किया करते थे और वे अक्सर ऋषियों के सामान को नदी में फेंक दिया करते थे. इससे परेशान होकर ​ऋषियों ने उन्हें ये श्राप दिया था कि, उनकी फेंकी चीज भविष्य में कभी भी पानी में नहीं डूबेगी. ऋषियों द्वारा नल-नील को मिला ये श्राप बाद में वरदान बन गया और उन्होंने लंका पार करने के लिए जब पत्थरों को समुद्र में फेंका तो वे नहीं डूबे और अंतत: रामसेतु का तैरते हुए पत्थरों से निर्माण हुआ.

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