लद्दाख ट्रिप प्लान कर रहे तो जान लें ये बातें, इस फैमिली ने शेयर किया अनुभव, पूरे परिवार का इस वजह से हुआ बुरा हाल

हम तीनों ठीक से खा नहीं पा रहे थे. यहां तक कि वयस्कों के लिए दो मंजिल चढ़ना एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा था.

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भारत में इन दिनों एडवेंचर से भरे वेकेशन ट्रिप्स का क्रेज बढ़ता जा रहा है. ट्रैवल व्लॉगर्स और सोशल मीडिया के इस दौर में लद्दाख जैसी जगहें हर किसी के लिए एक ड्रीम वेकेशन डेस्टिनेशन बन गया है. अगर आप भी घूमने के लिए लद्दाख जाने के सपने देख रहे हैं या जल्द फैमिली या फ्रेंड्स के साथ कोई ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं. फैमिली के साथ लद्दाख ट्रिप पर गए किरुबाकरण राजेंद्रन के एक्स पोस्ट ने ट्रैवल और ट्रेक एंथूजियास्ट लोगों को ट्रिप प्लान करने से पहले एक बार सोचने को मजबूर कर दिया है. दरअसल, वेकेशन मनाने गए राजेंद्रन और फैमिली का लद्दाख में ऐसा बुरा हाल हुआ कि उन्हें बीच ट्रिप से सारे प्लान्स कैंसिल कर फौरन घर लौटना पड़ा.

कैंसिल करना पड़ा वेकेशन

लद्दाख की ट्रिप पर गए किरुबाकरण राजेंद्रन की फैमिली घाटी के अद्भुत नजारों और एडवेंचर का लुत्फ उठाना चाहती थी, लेकिन उन्हें शायद ही इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक-एक सांस के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ेगा. राजेंद्रन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए अपना डरावना एक्सपीरियंस शेयर किया और अन्य ट्रैवलर्स को भी सावधान रहने की सलाह दी. उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "हमारे लिए सांस लेना  काफी मुश्किल था. दो दिनों के बाद भी हमारा शरीर एडैप्ट नहीं हुआ और मेरे दस साल के बच्चे के लिए सांस लेना वाकई मुश्किल हो गया. उसका ऑक्सीमीटर रीडिंग 65 से नीचे चला गया. वह जो भी खाता था वह उल्टी होने लगती थी जिससे उसके शरीर में पानी की कमी हो जाती थी, अच्छी नींद नहीं आती थी. हम तीनों ठीक से खा नहीं पा रहे थे. यहां तक कि वयस्कों के लिए दो मंजिल चढ़ना एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा था."
 

राजेंद्रन ने अपनी पोस्ट मे आगे लिखा, "छुट्टियां आरामदायक, आनंददायक और एडवेंचर से भरपूर होनी चाहिए थी, लेकिन इतना भी नहीं की स्वास्थ्य को ही जोखिम में डाल दे. अगर आप अपनी लद्दाख ट्रिप प्लान करते हैं और तो सबसे खराब स्थिति का अनुमान लगाते हुए पूरी तैयारी कर लें. लद्दाख बेशक बहुत सुंदर है लेकिन यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है."

अन्य ट्रैवलर्स को किया सावधान

यूजर ने एक्स पोस्ट में लिखा, "कृपया ध्यान दें कि अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर ऑक्सीजन की उपलब्धता कम हो जाती है. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है वायुमंडलीय दबाव कम हो जाता है और प्रति सांस ऑक्सीजन अणुओं की संख्या कम हो जाती है. समुद्र तल की तुलना में लेह और लद्दाख जैसी जगहों की हवा में ऑक्सीजन कम है."

पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा, "अगर आपको नुब्रा वैली या हानले जैसी जगहों तक पहुंचना है तो लेह शहर से कम से कम 5 घंटे का सफर करना पड़ता है. उन जगहों तक पहुंचने के लिए आपको खारदुंग ला जैसे ऊंचे दर्रों को पार करना होगा जो 18 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इन जगहों पर ऑक्सीजन इतनी कम है कि सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है, यहां तक कि कैब ड्राइवर भी आपको इन चोटियों पर 10 मिनट से ज्यादा बाहर खड़े रहने के लिए नहीं कहते हैं."

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