अपनी कला के बदौलत आर्टिस्ट "स्वाति घोष" को विदेश में मिली पहचान, उनकी चर्चित पेंटिंग को मिला पुरस्कार

"स्वाति घोष" कोलकाता की रहने वाली आर्टिस्ट हैं जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अपनी चित्रकला के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने और अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है, साथ ही कई सुर्खिया भी बटोरी हैं.

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जीवन कैद में सुखद और खुशहाल नहीं हो सकता है, भले ही वह कितना भी सुंदर पिंजड़े में हो. शांति केवल स्वतंत्रता के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है, जहां हम अपनी इच्छानुसार जीवन जी सकते हैं. प्रसिद्ध भारतीय पेटिंग कलाकार (Painting Artist) "स्वाति घोष" (Swati Ghosh) द्वारा चित्रित 'स्वतंत्रता और शांति' कलात्मक कृति पर सफेद कबूतरों के माध्यम से चित्र में स्वतंत्रता की छवि को दर्शाया गया.

"स्वाती घोष" जिन्हे कोलकाता शहर से पहचान मिली, वहीं इनका बचपन उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बीता. अब तक इन्होंने अपने जीवन में जो हासिल किया हैं उसका का श्रेय "स्वाति घोष" वो उनके आध्यात्मिक गुरु "स्व.योगिराज शक्तिकिनकर लाहा रॉय" (Yogiraj Saktikinkar Laha Roy) और उनके माता-पिता एवं उनके परिवार को हमेशा से समर्पित करती आई हैं.

"स्वाति घोष" कोलकाता की रहने वाली आर्टिस्ट हैं जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अपनी चित्रकला के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने और अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है, साथ ही कई सुर्खिया भी बटोरी हैं. आयोजित भव्य कार्यक्रम "L' Arte Sfida il Tempo"  ब्रेरा,मिलान, इटली में उनकी पेंटिंग को मिलान गैलरी द्वारा एक इटालियन मॉडल ने प्रदर्शित किया निर्देशक आर.क्रेपाल्दी द्वारा आयोजित फैशन शो में एक मॉडल द्वारा उनकी कलाकृति की विशेषता वाली पोशाक प्रस्तुत की गई थी, जहां स्वाति घोष को अतिथि कलाकार के रूप में आमंत्रित किया गया था. पिछले साल सितंबर 2022 में, स्वाति ने सैन सीरो हिपोड्रोम रेस कोर्स प्रदर्शनी में भारतीय कलाकार के रूप में "आर्ट एंड कवालो ट्रॉफी" पुरस्कार जीता था.

"स्वाति घोष" के कला कार्य "निर्वाणा" जो मस्तिष्कों में उल्लेखित शांति करने के गौतम बुद्ध के तरीके पर आधारित एक एक्रिलिक चित्रकारी है, उसे रोम में माइक्रो आर्टी विसिव गैलरी में 'टमारा आर्ट अवार्डज'प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया. इस प्रदर्शनी में स्वाति को तीसरा पुरस्कार प्रदान किया गया, यह पुरस्कार पोलिश कलाकार "टमारा डे लेम्पिक" के नाम पर जाना जाता है जिसे "मार्गरिता बी सियार्डी" द्वारा रोम में कला विभाग, पोलिश इंस्टिट्यूट और पोलिश एम्बेसी के सहयोग से प्रदान किया गया.

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