दूल्हा-दुल्हन ने शादी में फेरे लेने की जगह ली भारतीय संविधान की शपथ, मेहमानों से की ये अपील

"हमें उम्मीद है कि हमारी शादी दूसरों के सामने एक आदर्श स्थापित करेगी और उन्हें भविष्य में इसका पालन करने के लिए प्रेरित करेगी."

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ओडिशा के गंजम जिले में एक जोड़े ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करने के बजाय संविधान की शपथ लेकर शादी के बंधन में बंध गए. 29 वर्षीय बिज्या कुमार और 27 वर्षीय श्रुति ने रविवार को बरहामपुर शहर में आयोजित एक दान शिविर में रक्तदान किया. उन्होंने अपने शरीर के अंगों को भी दान करने का संकल्प लिया. उनके कई मेहमानों ने भी रक्तदान किया और दंपत्ति की अपील पर अपने अंग दान करने का वचन देते हुए हस्ताक्षर किए.

दूल्हे के पिता डी मोहन राव ने कहा, "2019 में मेरे बड़े बेटे के लिए उसकी दुल्हन के माता-पिता को समझाने के बाद इस तरह की शादी का आयोजन किया गया था."

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, श्री राव ने श्रुति के माता-पिता, जो उत्तर प्रदेश से हैं, उनको पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करने के बजाय संविधान की शपथ लेकर शादी करने के लिए राजी किया था.

सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी श्री राव ने कहा, कि संविधान प्रत्येक भारतीय के लिए एक पवित्र ग्रंथ है और यह आवश्यक है कि लोग इसमें निहित आदर्शों से अवगत हों.

श्रुति ने शपथ लेने और माला पहनाने के बाद कहा, "हमें उम्मीद है कि हमारी शादी दूसरों के सामने एक आदर्श स्थापित करेगी और उन्हें भविष्य में इसका पालन करने के लिए प्रेरित करेगी."

मानववादी तर्कवादी संगठन के गंजम सचिव, एक नागरिक समाज निकाय, केएन सेनापति ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में बेरहामपुर में कम से कम चार ऐसी शादियाँ हुई हैं. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह की शादियों के लिए और युवा आगे आएंगे."

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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