350 साल बाद ब्रिटेन से छत्रपति शिवाजी महाराज का 'वाघनख' लाया जा रहा वापस, लोग बेहद खुश हैं

वर्ष 1659 में युद्ध के दौरान महान मराठा नेता ने अपने हाथ में छुपाए हुए वाघ नख से अपने प्रतिद्वंद्वी एवं बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मार गिराया था.

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देश के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की राज्याभिषेक के 350 वर्ष  पूरे हो रहे हैं. इस मौक़े पर साल 1659 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिन वाघनख (बाघ के पंजे जैसा लोहे का हथियार) की मदद से अफ़ज़ल ख़ान का वध किया था, उसे तीन सालों के लिए लंदन के विक्टोरिया म्यूज़ियम से महाराष्ट्र में लाया जाएगा. ब्रिटेन स्थित विक्टोरिया एंड अल्बर्ट (वी एंड ए) संग्रहालय अगले सप्ताह महाराष्ट्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर सकता है, जिसमें 17वीं सदी के ‘वाघ नख' को एक प्रदर्शनी के लिए भारत ले जाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि यह ‘वाघ नख' छत्रपति शिवाजी महाराज का था.

वर्ष 1659 में युद्ध के दौरान महान मराठा नेता ने अपने हाथ में छुपाए हुए वाघ नख से अपने प्रतिद्वंद्वी एवं बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मार गिराया था.

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यह माना जाता है कि यह वाघ नख ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ के कब्जे में आ गया, जिन्हें वर्ष 1818 में सतारा राज्य का राजनीतिक एजेंट नियुक्त किया गया था. इस वाघ नख को डफ के एक वंशज ने संग्रहालय को उपहार में दिया था. संग्रहालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘विक्टोरिया एंड अल्बर्ट एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ नेतृत्व का स्वागत करने के लिए उत्सुक है.''

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प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अफजल खान पर छत्रपति शिवाजी महाराज की विजय की कहानी पौराणिक है, इसलिए हमें खुशी है कि 350वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में ‘वाघ नख' भारत जाएगा. हमें उम्मीद है कि इसका प्रदर्शन इतिहास में नये शोध के लिए भी उपयोगी हो सकता है.''

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इस एमओयू पर मंगलवार को हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. इसके बाद वाघ नख को इस साल के अंत में एक तय अवधि के लिए भारत भेजे जाने की उम्मीद है.

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संग्रहालय के अनुसार, डफ के स्कॉटलैंड लौटने के बाद वाघ नख को एक ‘फिटेड केस' में रखा गया. ‘फिटेड केस' पर लिखा है : ‘‘शिवाजी का ‘वाघ नख' जिससे उन्होंने मुगल सेनापति को मार गिराया. इसे ईडन के जेम्स ग्रांट डफ को मराठों के पेशवा द्वारा तब दिया गया था, जब वह सतारा के राजनीतिक एजेंट थे.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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