बेंगलुरु में सूर्य के चारों ओर दिखा इंद्रधनुषीय रंग का घेरा, 1 घंटे तक देखा गया ये अद्भुत खगोलीय नज़ारा - देखें Viral Photos

बेंगलुरु (Bengaluru) के लोग सोमवार (24 मई) को उस वक्त हैरान रह गए, जब उन्हें आसमान में सूरज के चारों ओर एक अद्भुत नजारा देखने को मिला. बेंगलुरु में लोगों ने सोमवार को सूरज के चारों ओर एक गोल सतरंगी इंद्रधनुषीय घेरा देखा.

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बेंगलुरु में सूर्य के चारों ओर दिखा इंद्रधनुषीय रंग का घेरा, 1 घंटे तक देखा गया ये अद्भुत खगोलीय नज़ारा

बेंगलुरु (Bengaluru) के लोग सोमवार (24 मई) को उस वक्त हैरान रह गए, जब उन्हें आसमान में सूरज के चारों ओर एक अद्भुत नजारा देखने को मिला. बेंगलुरु में लोगों ने सोमवार को सूरज के चारों ओर एक गोल सतरंगी इंद्रधनुषीय घेरा देखा. ये सूरज के चारों ओर एक छल्ला जैस बना हुआ दिखाई दे रहा था. जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. लोग इसे जादुई अनुभव बता रहे हैं. वैज्ञानिक भाषा में इसे ''सन हालो'' (Sun Halo) कहते हैं. सूर्य के चारों ओर एक चमकीला 'हेलो' सोमवार को बेंगलुरु में दोपहर के आसपास आसमान में देखा गया.

अभिनेत्री संयुक्ता हॉर्नड (actor Samyukta Hornad) ने सूर्य प्रभामंडल की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "इंद्रधनुष जैसे प्रभामंडल ने अभी एक पूर्ण चक्र में सूर्य को घेर लिया है." उन्होंने आगे बताया, कि वातावरण में बर्फ के क्रिस्टल के साथ प्रकाश की आवाजाही के कारण वलय का निर्माण होता है.

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बेंगलुरु के निवासियों ने इंद्रधनुष के रंग की अंगूठी की तस्वीरें साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. बेंगलुरु सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र के लोकसभा सदस्य पीसी मोहन (PC Mohan, Lok Sabha member from Bengaluru Central constituency) ने ट्विटर पर "तेजस्वी सूरज प्रभामंडल" की तीन तस्वीरें साझा कीं.

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आइए जाने ये सन हालो क्या होता है और क्यों सूरज के चारों ओर ऐसे रिंग बनते हैं?

सूर्य के चारों ओर बनने वाले इस सतरंगी घेर को सन हालो कहा जात है। हालो प्रकाश द्वारा उत्पन्न ऑप्टिकल घटना के एक परिवार का नाम है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये एक आम प्रक्रिया है. यह तब होता है, जब सूरज धरती से 22 डिग्री के एंगल पर पहुंचता है तो आसमान में नमी की वजह से इस तरह का रिंग बन जाता है. आसमान के सिरस क्लाउड की वजह से ये दोपहर में ही दिखने लगते हैं.

बता दें कि ठंडे देशों में यह एक बहुत ही सामान्य घटना है. लेकिन हमारे देशों में ये एक दुर्लभ घटना है, जो साल में कभी-कभार दिखाई देती है. इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. यह तब होता है जब सूरज के पास या उसके आस-पास आसमान में नमी से भरे सिरस बादल होते हैं और यह एक स्थानीय घटना है. इस लिए ये एक इलाके में ही दिखाई देते हैं.

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