Free Bus Service For Women: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का महिलाओं के लिए फ्री बस सर्विस का मॉडल अब देशभर में फैलता जा रहा है. दिल्ली की आप सरकार का यह फ्री मॉडल अब कई शहरों में भी अपनाया जा रहा है, जिसमें दक्षिण राज्य कर्नाटक भी शामिल हैं. बेंगलुरु में भी महिलाओं के लिए सरकार फ्री बस सर्विस प्रदान कर रही है. इसी के चलते बेंगलुरु के एक शख्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर महिलाओं के लिए बस में फ्री सर्विस पर बड़ा सवाल खड़ा किया है. इस शख्स ने अपने एक्स पोस्ट से सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है और लोग भी इसे सपोर्ट कर रहे हैं.
फ्री बस सर्विस पर शख्स ने उठाए सवाल (Free Bus Service For Women)
किरण कुमार नामक बेंगलुरु शख्स ने बेंगलुरु से मैसूर जाने वाली कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन बस में लगने वाले 210 रुपये किराए पर सवाल उठाए हैं. वहीं, महिलाओं के लिए इस सफर के लिए कोई किराया नहीं देना पड़ता है. किरण कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा है, 'मैंने तड़के सुबह बेंगलुरु से मैसूर जाने वाली बस पकड़ी, जिसका किराया 210 रुपये है, केएसआरटीसी बस कंफर्टेबल है, फास्ट ट्रेवल है, लेकिन मेरे दिमाग में कुछ सवाल आए हैं, इसमें 30 से 50 महिलाएं यात्री हैं, वो सभी अपना आधार कार्ड दिखा रही हैं और फ्री में सफर कर रही हैं, क्या यह सही है? क्या यही समानता है? जबकि पूरी बस का किराया 20 पुरुष दे रहे हैं, मैं देख रहा हूं कि एक बूढ़ा व्यक्ति टिकट के लिए बड़ी मुश्किल से पैसे निकाल पा रहा है, जब उसके बगल में बैठी अच्छे-खासे घर की लड़की फ्री में सफर कर रही है'.
लोगों ने भी किया सपोर्ट (Bus Service For Women In Bengaluru)
किरण कुमार के पोस्ट पर अब लोग अपने-अपने विचार साझा कर रहे हैं. इसमें एक यूजर ने इस पोस्ट में पूछा है, 'अगर राज्य के पास अतिरिक्त आय होती, तो सभी यात्रियों को शामिल करने के लिए मुफ्त बस सेवा का विस्तार नहीं किया जा सकता था, क्यों न इन 20 आदमियों के लिए भी इसे मुफ्त कर दिया जाए?, इस यूजर ने हवाई अड्डे के शटल के समान एक सार्वभौमिक मुफ्त बस सेवा का सुझाव का प्रस्ताव रखा. इस पर किरण कुमार ने कहा है, 'पूरी दुनिया में, सब्सिडी और वेलफेयर उन लोगों का किया जाता है, जो खर्च नहीं उठा सकते हैं, यहां, हमारे पास बेंगलुरु और मैसूर जैसे दो विकसित शहरों की महिलाएं हैं, जो मुफ्त यात्रा कर रही हैं, क्योंकि यह उपलब्ध है, क्या यह टिकाऊ है? क्या उसी मुफ्त पैसे का उपयोग कूड़ा साफ करने, शहरों में गड्ढे ठीक करने, किसानों को पानी उपलब्ध कराने में नहीं किया जा सकता? और भी बहुत सारे काम हैं, लेकिन लगा कि हम वोटों के लिए मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में प्रवेश कर चुके हैं, निकट भविष्य में इससे बाहर निकलना कठिन है'.
बता दें, किरण कुमार के इस पोस्ट पर 1 मिलियन से ज्यादा व्यूज आ चुके हैं. वहीं, कमेंट बॉक्स में कई लोग किरण कुमार की बात से सहमत हैं, वहीं, कई लोगों ने इसे लिंगभेद बताया है. एक यूजर ने कहा है, 'मुफ्त बस यात्रा गरीबों के लिए होनी चाहिए, चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी के लिए नहीं, यह समझ आता है'. एक ने सुझाव दिया, 'अगर वे चुनाव के दौरान इसे आकर्षक बनाना चाहते हैं, तो वे इंटरसिटी यात्रा के लिए इसे 25% या 50% की छूट दे सकते हैं'.