मुंबई के ऑटो वाले नहीं लेते UPI पेमेंट, बेंगलुरु से तुलना करते हुए शख्स ने पोस्ट में लिखा कुछ ऐसा, छिड़ गई बहस

बेंगलुरु की तुलना में स्थिति बेहद अलग है जहां ड्राइवरों के पास कई स्कैनिंग कोड होते हैं. उन्होंने कहा, "बेंगलुरु आएं और हर रिक्शा में 3 अलग-अलग क्यूआर कोड होंगे."

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इसमें कोई शक नहीं कि डिजिटल पेमेंट (digital payment) के आने से लोग नकदी का इस्तेमाल कम करने लगे हैं. सड़क किनारे की दुकानों से लेकर ऑटोरिक्शा चालकों (autorickshaw drivers) से लेकर फैंसी रेस्तरां तक, ज्यादातर लोगों ने विभिन्न यूपीआई ऐप्स (UPI applications) का उपयोग करके कैशलेस खरीदारी स्वीकार करना शुरू कर दिया है. लेकिन, कुछ लोग अभी भी इससे जुड़े जोखिमों के कारण ऑनलाइन पेमेंट करने से झिझक रहे हैं. उसी के बारे में बात करते हुए, बेंगलुरु (Bengaluru) के एक शख्स ने सोशल मीडिया पर कहा कि मुंबई के ऑटो-रिक्शा चालक (Mumbai auto-rickshaw drivers) आउटडेटेड हैं क्योंकि वे भुगतान के नए तरीके को स्वीकार नहीं करते हैं. लेकिन, उनके इस कमेंट ने ऑनलाइन एक बड़ी बहस छेड़ दी है.

एक इंटरनेट यूजर सुमुख राव ने हाल ही में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "यह हास्यास्पद है कि मुंबई भारत की 'वित्तीय राजधानी' है, लेकिन 99% रिक्शा और टैक्सी वाले यूपीआई स्वीकार नहीं करते हैं. हेक, कई दुकानें और लोकप्रिय रुस्तम आइसक्रीम और क्यानी जैसे प्रतिष्ठान केवल नकद में लेनदेन करते हैं." उन्होंने कहा कि बेंगलुरु की तुलना में स्थिति बेहद अलग है जहां ड्राइवरों के पास कई स्कैनिंग कोड होते हैं. उन्होंने कहा, "बेंगलुरु आएं और हर रिक्शा में 3 अलग-अलग क्यूआर कोड होंगे."

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शेयर किए जाने के बाद से उनकी पोस्ट को 2.1 मिलियन बार देखा जा चुका है और 9,800 से अधिक लाइक्स मिले हैं.

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एक यूजर ने कहा, "75% रिक्शा यूपीआई स्वीकार करते हैं." दूसरे ने लिखा, "युवा वर्ग यूपीआई को स्वीकार करता है. पुराने लोग उतने तकनीक प्रेमी नहीं हैं इसलिए आशंका है. मुंबई में पानी पुरी के स्टॉल और पाव भाजी के स्टॉल यूपीआई को स्वीकार करते हैं. उम्मीद है कि रिक्शावाले भी जल्द ही इसे फॉलो करेंगे. वह दिन दूर नहीं जब हम भुगतान के लिए केवल अपना मोबाइल फोन ही ले जा सकते हैं." 

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तीसरे ने कमेंट किया, "मुझे नफरत है जब कोई मुंबई को अपमानित करता है लेकिन इससे मुझे भी निराशा होती है. जब यूपीआई की बात आती है तो मुंबई को वास्तव में आगे बढ़ने की जरूरत है. यह शर्म की बात है." चौथे ने कहा, "सच्चाई यह है कि 99% मामलों में हमें बेंगलुरु में कोई रिक्शा नहीं मिलेगा."

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