बेंगलुरु में हिंदी-कन्नड़ भाषा की बहस ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. इसकी वजह है एक इंस्टाग्राम वीडियो जो वायरल हो रहा है. क्लिप में, कुछ ऑटो चालकों ने कथित तौर पर कन्नड़ भाषी ग्राहक की तुलना में हिंदी भाषी महिला यात्री से अधिक किराया वसूला. इस घटना ने शहर में अनुचित किराया निर्धारण करने और भाषाई भेदभाव के बारे में चिंताओं को फिर से जगा दिया है.
वीडियो की शुरुआत में दो महिलाओं को शहर भर में ऑटोरिक्शा को रोकने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है, जिसमें से एक हिंदी में बोल रही है और दूसरी कन्नड़ में. एक उदाहरण में, एक ड्राइवर ने हिंदी भाषी महिला को नहीं बैठाया, लेकिन कन्नड़ भाषी महिला से उसी सवारी के रिक्वेस्ट को स्वीकार कर लिया. दूसरे ड्राइवर ने शुरू में हिंदी भाषी महिला से 300 रुपये मांगे, लेकिन कन्नड़ में पूछे जाने पर किराया घटाकर 200 रुपये कर दिया. तीसरे ड्राइवर ने हिंदी भाषी महिला को अनदेखा किया, लेकिन कन्नड़ भाषी महिला को ले जाने के लिए सहमत हो गया.
वीडियो यहां देखें:
सोशल मीडिया पर ढेरों लोगों ने इस वीडियो पर कमेंट किया. जहां कुछ लोगों ने भेदभावपूर्ण व्यवहार की आलोचना की, वहीं अन्य ने ड्राइवरों की बढ़ती ईंधन लागत और किराए के अपर्याप्त रेगुलेशन जैसी लंबे समय से चली आ रही शिकायतों की ओर इशारा किया, कई लोगों ने स्थानीय भाषाओं और संस्कृतियों के लिए आपसी सम्मान के महत्व पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा कि भाषा को अनुचित व्यवहार का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए.
एक यूजर ने लिखा, "हम सभी पहले भारतीय हैं, लेकिन हमें हर संस्कृति और हर भाषा का सम्मान करना चाहिए, ताकि गैर कन्नड़ लोग कन्नड़ सीखें." एक अन्य ने लिखा, "लोग बिना किसी शर्म के क्षेत्रीय असमानता और भेदभाव का महिमामंडन क्यों करते हैं? तीसरे ने लिखा, "मीटर शोपीस है? भगवान का शुक्र है कि कम से कम मुंबई में ऑटो हिंदी/मराठी के बावजूद मीटर पर चलता है."