आपको याद होगा, लगभग दो महीने पहले बेंगलुरू की सड़कों पर (और सोशल मीडिया पर भी) उस समय हंगामा मच गया था, जब एक काफी बड़ा मगरमच्छ सड़क पर बन गए गढ़ों में दिखाई दिया, और इस बार तहलका मचाया है एक विशालकाय एनाकॉन्डा (anaconda) ने, जो किसी इंसान को निगलता दिखाई दिया। बेंगलुरू की पानी से भरी और गढ़ों से पटी इस सड़क पर लोग इस अतिकाय सांप से डरते रहे, और बचकर निकलते रहे...
लेकिन ऊपर वाले का धन्यवाद... जिस तरह दो महीने पहले दिखा मगरमच्छ असली नहीं था, उसी तरह यह एनाकॉन्डा भी असली नहीं था, और इसे एक मकसद से यहां सड़क पर 'लाया' गया था...
इसी साल जून माह के दूसरे सप्ताह में शहर के आरटी नगर इलाके में रहने वाले पेंटर बादल नन्जन्दास्वामी ने सड़क पर बने गढ़ों की तरह प्रशासन का ध्यान खींचने की खातिर लगभग 20 किलो वज़न का फाइबर से बना आठ फुट लम्बा मगरमच्छ तैयार कर उसे पूर्वी बेंगलुरू के सुल्तान पल्या में सड़क पर रख दिया था और उसके आसपास तालाब की पेंटिंग कर दी थी... हालांकि बादल नन्जन्दास्वामी को अपने इस प्रयास में लगभग पांच हज़ार रुपये खर्च करने पड़े था, लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई थी, और प्रशासन ने लगभग तुरंत ही कार्रवाई करते हुए गढ़े को पाट दिया था... (समाचार पढ़ें - वीडियो रिपोर्ट देखें)
इस बार, एबीपी में प्रकाशित समाचार के अनुसार, नम्मा बेंगलुरू फाउंडेशन (Namma Bengaluru Foundation) नामक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने बादल के ही पदचिह्नों पर चलते हुए एक सड़क पर गढ़े से निकलता हुआ बड़ा-सा एनाकॉन्डा सड़क पर रखा, जिसके बेहद खतरनाक दिखने वाले मुंह से एक मानव बांह भी लटक रही है, जैसे शेष मानव शरीर को एनाकॉन्डा निगल चुका हो...
इस एनजीओ का मकसद शहर की खराब सीवर व्यवस्था और लगातार होते ट्रैफिक जाम की तरफ वृहत् बेंगलुरू महानगर पालिका का ध्यान आकर्षित करना है, और इसीलिए उन्होंने बादल नन्जन्दास्वामी का यह 'डरावना' तरीका अपनाया...
देखते हैं, जिस तरह पिछली बार सोशल मीडिया पर वायरल हो गए 'मगरमच्छ से डरकर' स्थानीय प्रशासन ने गढ़ा पाट दिया था, उसी तरह क्या एनाकॉन्डा भी उन्हें 'डराकर' काम करवा पाएगा, ताकि बेंगलुरू के लोग साफ-सुथरी सड़कों पर ट्रैफिक जाम में फंसे बिना चल सकें...
लेकिन ऊपर वाले का धन्यवाद... जिस तरह दो महीने पहले दिखा मगरमच्छ असली नहीं था, उसी तरह यह एनाकॉन्डा भी असली नहीं था, और इसे एक मकसद से यहां सड़क पर 'लाया' गया था...
इसी साल जून माह के दूसरे सप्ताह में शहर के आरटी नगर इलाके में रहने वाले पेंटर बादल नन्जन्दास्वामी ने सड़क पर बने गढ़ों की तरह प्रशासन का ध्यान खींचने की खातिर लगभग 20 किलो वज़न का फाइबर से बना आठ फुट लम्बा मगरमच्छ तैयार कर उसे पूर्वी बेंगलुरू के सुल्तान पल्या में सड़क पर रख दिया था और उसके आसपास तालाब की पेंटिंग कर दी थी... हालांकि बादल नन्जन्दास्वामी को अपने इस प्रयास में लगभग पांच हज़ार रुपये खर्च करने पड़े था, लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई थी, और प्रशासन ने लगभग तुरंत ही कार्रवाई करते हुए गढ़े को पाट दिया था... (समाचार पढ़ें - वीडियो रिपोर्ट देखें)
इस बार, एबीपी में प्रकाशित समाचार के अनुसार, नम्मा बेंगलुरू फाउंडेशन (Namma Bengaluru Foundation) नामक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने बादल के ही पदचिह्नों पर चलते हुए एक सड़क पर गढ़े से निकलता हुआ बड़ा-सा एनाकॉन्डा सड़क पर रखा, जिसके बेहद खतरनाक दिखने वाले मुंह से एक मानव बांह भी लटक रही है, जैसे शेष मानव शरीर को एनाकॉन्डा निगल चुका हो...
इस एनजीओ का मकसद शहर की खराब सीवर व्यवस्था और लगातार होते ट्रैफिक जाम की तरफ वृहत् बेंगलुरू महानगर पालिका का ध्यान आकर्षित करना है, और इसीलिए उन्होंने बादल नन्जन्दास्वामी का यह 'डरावना' तरीका अपनाया...
देखते हैं, जिस तरह पिछली बार सोशल मीडिया पर वायरल हो गए 'मगरमच्छ से डरकर' स्थानीय प्रशासन ने गढ़ा पाट दिया था, उसी तरह क्या एनाकॉन्डा भी उन्हें 'डराकर' काम करवा पाएगा, ताकि बेंगलुरू के लोग साफ-सुथरी सड़कों पर ट्रैफिक जाम में फंसे बिना चल सकें...
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