चांद फतह हो चुका है, मिशन सूर्य भी सफल हो गया है, गगनयान भी सफलता का स्वाद चख चुका है, अब भारत मंगल और बृहस्पति पर जीतना बाकी है. ऐसे में भारत के वैज्ञानिक मंगल और शुक्र (Soft land on Moon - Done. Mission to Sun - Done. Test flight for Gaganyaan) पर अपनी जीत दर्ज कने की कोशिश कर रहे हैं. इसरो प्रमुख ने नए मिशन के बारे में जानकारी दी. इसरो के वैज्ञानिक पृथ्वी के पड़ोसी ग्रहों पर अपनी पहुंच बनाने को बेकरार हैं. जानकारी के मुताबिक भारत अगले 5 सालों में अपनी पहुंच बनाने की कोशिश करेगा. इसरो चीफ ने रविवार को एनडीटीवी से खास बातचीत में अपनी बात रखी.
UR Rao सैटेलाइट सेंटर के प्रमुख डॉ एम शंकरन ने एनडीटीवी को जानकारी देते हुए कहा कि हमारी कोशिश है कि हम अगले 5 साल में पृथ्वी के निकटम ग्रहों पर अपनी पहुंच बनाएं. हालांकि, इन मिशनों में कई चुनौतियां हैं. मंगल ग्रह के वातावरण में जाना ही एक चुनौती है. यहां काफी गर्मी होती है. इन मिशनों के लिए हमें अलग से तैयारी करनी होगी. हमें सभी तथ्यों पर गहन अध्ययन करना होगा. इंधन, लॉन्चिंग पैड और लॉन्च पैड को खास तौर पर तैयार रखना पड़ेगा.
पिछले कुछ वर्षों में हमने मंगल ग्रह पर काफी अध्ययन किया है. मंगल पर सफल लैंडिंग के लिए हमें दो तथ्यों पर गहन ध्यान देना होगा. चंद्रयान 2 की असफल लैंडिंग. उस समय सही सेंसर नहीं होने के कारण हम असफल हुए थे, मगर हमें अब इसका अनुभव हो चुका है. ऐसे में हमारे लिए ये आसान रहेगा.
दूसरा चैलैंज हमारे लिए मंगल की कक्षा में प्रवेश करना है. हमारे पास LVM3 है. इसकी मदद से मंगल और बृहस्पती पर लैंडिंग करना थोड़ा मुश्किल भरा होगा. मंगल का वातावरण थोड़ा चैलेंजिंग है, मगर निरंतर अध्ययन कर रहे हैं.