नीचे लड़की, उपर डायनामाइट वाला कंकाल... 485 करोड़ में बिकी सबसे महंगी पेंटिंग में ऐसा क्या खास है?

World Most Expensive Painting by woman artist: फ्रीडा काहलो की पेंटिंग किसी भी नीलामी में बेची गई किसी महिला कलाकार की अब तक की सबसे मूल्यवान कृति है.

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फ्रीडा काहलो की पेंटिंग 485 करोड़ में बिकी है
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  • फ्रीडा काहलो की सेल्फ पोर्ट्रेट पेंटिंग न्यूयॉर्क में 54.66 मिलियन डॉलर में बिकी है ( लगभग 485 करोड़ रुपए)
  • यह पेंटिंग महिला कलाकार द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है, पहले के सारे रिकॉर्ड टूट गए
  • पेंटिंग का नाम 'एल सुएनो (ला कामा)' है, जिसे काहलो ने 1940 में अपने करियर के महत्वपूर्ण दशक में बनाया था
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मैक्सिको की महान कलाकार फ्रीडा काहलो की बनाई खुद की तस्वीर को न्यूयॉर्क में 54.66 मिलियन डॉलर में बिकी है. अगर भारतीय करेंसी में देखा जाए तो यह लगभग 485 करोड़ रुपए की होती है. इसके साथ यह किसी महिला कलाकार द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे महंगी पेंटिंग हो गई है. इस पेंटिंग की निलामी कराने वाली सोथबी ने यह जानकारी दी है. इस पेंटिंग का नाम "एल सुएनो (ला कामा)" है. इसका मतलब होता है "सपना (बिस्तर)".

इस पेंटिंग ने अमेरिकी कलाकार जॉर्जिया ओ'कीफे द्वारा बनाए गए पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. जॉर्जिया ओ'कीफे की साल 1932 में बनाई पेंटिंग "जिमसन वीड/व्हाइट फ्लावर नंबर 1" 44.4 मिलियन डॉलर में बिकी थी.

फ्रीडा काहलो की पेंटिंग में ऐसा खास क्या है?

सोथबी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि काहलो की पेंटिंग "नीलामी में बेची गई किसी महिला कलाकार की अब तक की सबसे मूल्यवान कृति है." इस ऑक्शन हाउस ने बताया है कि काहलो ने यह पेंटिंग 1940 में अपने करियर के एक महत्वपूर्ण दशक के दौरान बनाया था. इस दौर में वो डिएगो रिवेरा के साथ अपने अशांत रिश्तों को लेकर जूझ रही थीं.

जब काहलो के इस सेल्फ पोर्ट्रेट वाली तस्वीर को सोथबी के नीलामी ब्लॉक में रखा गया था तो पहले से उम्मीद थी कि यह $40 मिलियन से $60 मिलियन के बीच अनुमानित कीमत पर बिकेगी. हुआ भी वैसा ही. हालांकि खरीदार के नाम का खुलासा नहीं किया गया. 

इस पेंटिंग में फ्रीडा काहलो हवा में तैरती दिख रही एक बिस्तर पर सोई हुईं हैं. बेड के उपरी भाग पर एक कंकाल लेटा हुआ है जिसके पैरों में डायनामाइट के स्टिक लिपटे हुए हैं. सोथबी में लैटिन अमेरिकी कला के प्रमुख अन्ना डि स्टासी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि यह पेंटिंग एक "बहुत ही पर्सनल" इमेज है, जिसमें काहलो "मैक्सिकन संस्कृति के लोककथाओं के रूपांकनों को यूरोपीय अतियथार्थवाद के साथ जोड़ती है." 

फ्रीडा काहलो ने साल 1954 में 47 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया था.

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